राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राज्य बोर्डों को समान चिकित्सा प्रवेश परीक्षा एनईईटी के दायरे से बाहर रखने के लिए एक अध्यादेश लाने के फैसले पर स्वास्थ्य मंत्रालय से कुछ बिंदुओं पर और जानकारी और स्पष्टीकरण मांगा है। और अधिक जानकारी की जरूरत स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को बताई गई जिन्होंने सोमवार दोपहर बाद राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें अध्यादेश लाने की जरूरत के बारे में बताया। राष्ट्रपति मंगलवार को चीन रवाना हो रहे हैं।

मुलाकात आधे घंटे से ज्यादा चली और समझा जाता है कि मंत्री ने राष्ट्रपति को राज्य बोर्डोंं की विभिन्न परीक्षाओं, पाठ्यक्रम और क्षेत्रीय भाषाओं के तीन मुद्दों पर जानकारी दी। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि बैठक में राष्ट्रपति ने कुछ नई जानकारी मांगी। सूत्रों ने कहा, मंत्रालय उन्हें भेजने की प्रक्रिया में है।

राष्ट्रपति ने पहले नड्डा के मंत्रालय से राज्यों के बोर्डोंं को ‘राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा’ (नीट) के दायरे से बाहर रखने के लिए अध्यादेश का मार्ग अपनाने के कारण पूछे थे। सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति और स्वास्थ्य मंत्री की बैठक संतोषजनक रही। अध्यादेश शनिवार को राष्ट्रपति को भेजा गया था। नड्डा को जिनीवा में एक स्वास्थ्य सम्मेलन में भाग लेने जाना था, लेकिन राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए उन्हें अपना दौरा रद्द करना पड़ा। केंद्री मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को अध्यादेश को मंजूरी दी थी।

इसका मकसद सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश को ‘आंशिक’ रूप से बदलना है, जिसमें कहा गया है कि सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज नीट के दायरे में आएंगे। राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर आंतरिक कानून विशेषज्ञों की भी राय ली है। राष्ट्रपति की मुहर का अभी इंतजार है।

सरकारी सूत्रों ने केवल राज्य सरकार की सीटों के लिए छूट होने की बात करते हुए कहा था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में निर्धारित सरकारी सीटों को भी छूट प्रदान की गई है। परीक्षा का अगला चरण 24 जुलाई को होना है। एक मई को नीट के पहले चरण में करीब 6.5 लाख विद्यार्थी चिकित्सा प्रवेश परीक्षा दे चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सात राज्य नीट के अनुसार परीक्षा लेंग,े वहीं छह अन्य राज्यों में करीब चार लाख विद्यार्थी परीक्षा पहले ही दे चुके हैं।