अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सात मार्च को होने वाले दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भाग लेंगे।छात्रसंघ पदाधिकारियों ने संघी मानसिकता के लोगों को कार्यक्रम से दूर रखने की मांग की है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखकर कहा है कि,’हम राष्ट्रपति के आने का विरोध नहीं कर रहे, हमारा विरोध सिर्फ संघी मानसिकता से है। अगर संघ से जुड़े लोग आएंगे तो उन्हें कैंपस में घुसने नहीं दिया जाएगा।’ छात्रसंघ के सचिव मो. फहद ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के 2010 में दिए कथित बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमान और ईसाई इस देश के लिए विदेशी हैं, जिनसे आज तक हमें परेशानी उठानी पड़ रही है।

सचिव ने कहा कि  पत्र लिखकर साफ कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन संघ के पदाधिकारियों को आमंत्रण न भेजे। जो लोग प्रोटोकॉल के मुताबिक आ रहे हैं, उन्हें आने दिया जाएगा, बाकी लोगों को नहीं।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रण भेजे जाने के बाद से ही छात्रसंघ पदाधिकारियों ने एतराज जताना शुरू किया। छात्रसंघ पदाधिकारियों का कहना है कि अयोध्या में मस्जिद गिराने में संघ का हाथ रहा, इस नाते इससे जुड़े किसी पदाधिकारी को अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बुलाया तो अंजाम भुगतना पड़ा। इससे पहले सर सैय्यद की 200 वीं जयंती पर जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह को बुलाया था तो छात्रों ने हंगामा किया था।

छात्रों ने कुलपति से माफी मांगने की बात कहते हुए कहा था कि संदीप सिंह मस्जिद कांड के आरोपियों में से एक और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के पोते हैं, इस नाते उन्हें बुलाया जाना गलत है। बता दें कि 32 वर्षों के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति की मौजूदगी होगी। इससे पहले ज्ञानी जैल सिंह 1986 में आ चुके हैं, वहीं फखरुद्दीन अली अहमद ने 1976, डॉ. एस राधाकृष्णन ने 1966 और डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने 1951 के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया था।