फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पारंपरिक ‘घोड़ा-बग्गी’ में कर्तव्य पथ पर पहुंची। बता दें कि ये बग्गी का ट्रेडिशन 40 साल बाद वापस आ रहा है। काफिले में घोड़ों के ऊपर लाल वर्दी में पुरुष भी थे। इस ट्रेडिशन को 1984 तक फॉलो किया गया लेकिन इसके बाद सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इस परंपरा को बंद किया गया

1984 तक गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राष्ट्रपति बग्गी का उपयोग किया जाता था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इसे बंद कर दिया गया था। सुरक्षा कारणों से इसे बंद कर दिया गया और इसके बाद के राष्ट्रपति ने अपनी यात्रा के लिए लिमोज़ीन का उपयोग करना शुरू कर दिया।

घोड़े से खींची जाने वाली बग्गी में सोने की परत चढ़ी हुई है और यह बेहद आरामदायक है। स्वतंत्रता से पहले इसका उपयोग वायसराय द्वारा किया जाता था और बाद में यह राष्ट्रपति भवन में रखा गया।

इससे पहले 2014 में, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीटिंग रिट्रीट समारोह में भाग लेने के दौरान छह घोड़ों वाली बग्गी की सवारी करके राष्ट्रपति परंपरा को पुनर्जीवित किया था। इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 16 और केंद्र सरकार के विभागों की 9 सहित कुल 25 झांकियां प्रदर्शित की गईं।

26 जनवरी 1950 को पहली बार गणतंत्र दिवस मनाया गया

भारत का संविधान लागू होने के दिन 26 जनवरी 1950 को पहली बार गणतंत्र दिवस मनाया गया था। इस मौके पर दिल्ली में शानदार परेड निकाली गई थी। इस कार्यक्रम में देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने भी हिस्सा लिया था और पहली बार स्वतंत्र भारत का ऐसा भव्य समारोह देखकर भारतीयों की आंखों भर आई थीं। जान लें कि देश के पहले गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम दरबार हॉल में किया गया था। भारत के पहले रिपब्लिक डे के मौके पर 31 तोपों की सलामी दी गई थी। परेड के दौरान राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने सेना की अलग-अलग टुकड़ियों की सलामी ली थी।