Curd-Sugar Tradition: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 का पहला पूर्ण बजट लोकसभा में पेश किया। यह उनका लगातार आठवां बजट था, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पेश किया गया। बजट पेश करने से पहले, वित्त मंत्री राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचीं। राष्ट्रपति ने उन्हें बजट के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं और भारतीय परंपरा के अनुसार दही-चीनी खिलाई। क्या आपने कभी सोचा है कि किसी बड़े काम से पहले दही-चीनी खिलाने की यह परंपरा क्यों निभाई जाती है?

वैज्ञानिक आधार से भी माना जाता है अच्छा

भारत में दही-चीनी खाना शुभ माना जाता है। इसका सीधा संबंध सफलता और ऊर्जा से जुड़ा है। दही को शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है, जबकि चीनी मिठास और अच्छे परिणामों की उम्मीद का संकेत देती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें तो दही शरीर को ठंडक और ऊर्जा देता है, जबकि चीनी तुरंत ग्लूकोज बनाकर दिमाग को सक्रिय कर देती है। यही कारण है कि परीक्षा देने जा रहे छात्रों से लेकर, किसी बड़े फैसले से पहले नेता या अधिकारी तक – हर कोई दही-चीनी खाकर अपने काम की शुरुआत करना शुभ मानता है। दही-चीनी खाने की परंपरा केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है।

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यह परंपरा यह बताती है कि भारतीय संस्कृति में हर चीज के पीछे एक गहरी सोच होती है। यह सिर्फ अंधविश्वास नहीं, बल्कि एक ऐसी मान्यता है, जो आत्मविश्वास बढ़ाती है और शुभता का अहसास कराती है। इसलिए, जब भी कोई महत्वपूर्ण काम करने जाएं, तो एक चम्मच दही-चीनी खाकर निकलें- हो सकता है, यह आपकी सफलता का मंत्र बन जाए!

परंपरा के साथ मंजूरी देने का तरीका भी

राष्ट्रपति का दही-चीनी खिलाना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि एक संकेत भी है कि वित्त मंत्री को उनकी शुभकामनाएं मिल रही हैं। यह एक तरह से सांकेतिक अनुमति भी है कि अब वह बजट पेश कर सकती हैं। राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर भी इस पल की तस्वीरें साझा की गईं, जिसमें वित्त मंत्री और उनकी टीम को शुभकामनाएं दी गईं।

बजट सिर्फ एक आर्थिक दस्तावेज नहीं, बल्कि पूरे देश की नीतियों का खाका होता है। इसे बनाने में महीनों की मेहनत लगती है, और जब इसे पेश किया जाता है, तो हर किसी की नजरें इस पर टिकी होती हैं। ऐसे में वित्त मंत्री मानसिक रूप से तैयार रहें, उनका आत्मविश्वास मजबूत रहे, इसके लिए यह परंपरा निभाई जाती है। यह एक तरह की मनोवैज्ञानिक मजबूती भी देती है, ताकि वे बिना किसी दवाब के अपने विचारों को लोकसभा में प्रस्तुत कर सकें।

निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार बजट पेश की हैं। इससे पहले उन्होंने सात बार बजट पेश कर इतिहास रच दिया था। वह भारत की दूसरी महिला वित्त मंत्री हैं। उनसे पहले इंदिरा गांधी 1970-71 में वित्त मंत्री रहते हुए बजट पेश कर चुकी थीं। यह भी दिलचस्प है कि सीतारमण ने अब तक पांच पूर्णकालिक और दो अंतरिम बजट पेश किए हैं, और हर बार बजट से पहले यही परंपरा दोहराई जाती रही है।