राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा को पद से हटाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। राजखोवा को पदमुक्त किए जाने की जिम्मेदारी मेघालय के राज्यपाल वी. शण्मुगनाथन को दी गई है। बता दें, पहले खबरें आई थीं कि अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल से केंद्र सरकार ने इस्तीफा मांगा था। हालांकि, उन्होंने इस्तीफा देने से मना कर दिया था। ज्योति प्रसाद राजखोवा ने कहा था कि वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। राजखोवा ने कहा थी कि केंद्र सरकार ने उनसे 31 अगस्त तक इस्तीफा देने के लिए कहा था।

राज्यपाल ने कहा था कि मैं चाहता हूं कि वो मुझे पद से बर्खास्त करें… शनिवार (3 अक्टूबर) को सबसे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने खबर दी थी कि राज्यपाल राजखोवा को केंद्र सरकार ने “स्वास्थ्य कारणों से” इस्तीफा देने के लिए कहा है। इससे पहले राजखोवा तब भी खबरों में आए थे जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में कांग्रेस सरकार को बहाल करते हुए राज्यपाल की “चुनी हुई सरकार को अपमानित करने” से बचने की सलाह दी थी। सोमवार (5 सितंबर) को गुवाहाटी स्थित टीवी चैनल डीवाई365 से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा, “मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। मैं चाहता हूं कि वो मुझे बरखास्त करें…राष्ट्रपति को अपना असंतोष सार्वजनिक करने दीजिए। सरकार को संविधान के अनुच्छेद 156 की इस्तेमाल करने दीजिए।”

राजखोवा ने बताया था कि 27 अगस्त को गुवाहाटी के एक गैर-सरकारी व्यक्ति ने फोन करके उनसे स्वास्थ्य कारणों के आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहा। राजखोवा ने बताया था, “मैंने उस व्यक्ति से कहा कि सरकार में जो मेरा इस्तीफा चाहता है वो मुझे सीधे फोन करे। जब ऐसी कोई कॉल नहीं आई तो मैंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को फोन किया और पूछा कि क्या ये सही है। राजनाथ ने साफ कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और गृह मंत्री ने मेरे काम की तारीफ भी की। लेकिन जब मैंने एक दूसरे केंद्रीय मंत्री को फोन किया तो उन्होंने मुझे 30 अगस्त को वापस फोन करके कहा कि उच्च स्तर पर आपके द्वारा स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने का फैसला लिया जा चुका है।

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राजखोवा के अनुसार उन्होंने केंद्रीय मंत्री को बताया कि वो 47 दिन पहले ही इलाज कराकर लौटे हैं और अब पूरी तरह सेहतमंद हैं। असम के पूर्व मुख्य सचिव राजखोवा को जून 2015 में अरुणाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था। राजखोवा ने कहा कि उन्होंने इस पद के लिए कभी कोई गोलबंदी नहीं की थी, न ही वो किसी बीजेपी नेता से राज्यपाल पद के लिए संपर्क किया था।

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