कोरोना वायरस की दहशत के बीच राजस्थान ने स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए कमर कस ली है। दरअसल पिछले कुछ साल में स्वाइन फ्लू यानी एन1एन1 बीमारी से हुई मौतों से लोगों में इस बीमारी के प्रति खौफ सा बन गया है। जानलेवा इस रोग के पाजिटिव मामलों में वर्ष 2019 में तो राजस्थान देश भर में पहले स्थान पर था। बीते वर्ष 5092 पाजिटिव में से 208 लोगों की मौत होने से हड़कंप मच गया था। स्वाइन फलू की रोकथाम से जुड़े विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस मामले में माना था कि प्रदेश में इसकी जांच और उपचार केंद्रों की कमी के कारण लोगों की मौत हुई थी। राज्य में पिछले दस साल में इस बीमारी से डेढ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी रोकथाम और जांच के लिए अब सरकार ने जिला स्तर पर ही इंतजाम करने शुरू कर दिए हैं और उपचार के लिए अस्पतालों को भी चाक चौबंद करने की तैयारी कर ली है।

राज्य में स्वाइन फ्लू जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए चिकित्सा विभाग ने एडवांस मैनेजमेंट सिस्टम के तहत तैयारियां की है। स्वाइन फलू मरीजों को दी जाने वाली टेमीफ्लू की 15 लाख से ज्यादा दवाएं खरीद ली हैं और इन्हें उपजिला केंद्रों तक भिजवाया जा रहा है। मरीजों की स्क्रीनिंग से लेकर जांच और अन्य प्रकार की गाइडलाइन तक जारी कर दी गई है। जिला अस्पतालों में स्वाइन फलू मरीजों के लिए अलग से वार्ड और गंभीर रोगियों के लिए स्पेशल आइसीयू तक के इंतजाम पूरे किए जा रहे हैं। प्रदेश के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम शुरू करने की तैयारी कर ली गई है। कोटा के जेके लोन अस्पताल में बड़ी संख्या में शिशुओं की मौत के बाद आॅक्सीजन सप्लाई सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए ही सभी अस्पतालों में अब एक जैसी व्यवस्था करने की योजना बनाई गई है। स्वाइन फलू के लक्ष्ण सामने आते ही मरीज को अस्पताल पहुंचा कर उसके उपचार करने के साथ ही लोगों में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया गया है। राजस्थान कुछ साल में स्वाइन फ्लू से मौतों का गढ़ बन गया है।

चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि स्वाइन फ्लू की रोकथाम और जांच व उपचार की अब जिला स्तर पर ही पुख्ता व्यवस्था की जा रही है। टीबी की जांच वाली सीबी-नाट मशीनों का सॉफ्टवेयर अपडेट किया जाएगा। इससे हर जिले में जांच सुविधा विकसित होगी। प्रदेश में 60 सीबी-नाट मशीने उपलब्ध है। जांच किट और स्टाफ की समुचित व्यवस्था होने पर स्वाइन फ्लू की जांच निचले स्तर पर ही उपलब्ध हो जाएगी और मरीजों को इसका बड़ा फायदा मिलेगा। सरकार निरोगी राजस्थान की दिशा में आगे बढ़ रही है और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी भी तरह की कमी लोगों को महसूस नहीं होने देगी।

स्वाइन फ्लू के विशेषज्ञ डॉक्टर जीएल गुप्ता का कहना है कि यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। समय रहते इसकी पहचान कर इसका इलाज संभव है और मरीज को ठीक किया जा सकता है। स्वाइन फ्लू से हुई मौतों के ज्यादातर मामलों में सामने आया है कि मरीज अस्पताल देरी से पहंचता है। इस रोग में छोटे बच्चों और बुजुर्गों को विशेष ध्यान रखना चाहिए। सरकार के अस्पतालों में सुविधाओं की कमी के कारण कुछ साल में हाहाकार मचा पर अब सरकार जिला स्तर पर ही जांच और उपचार की व्यवस्था को ठीक कर रही है तो आने वाले समय में इस पर काबू पाना संभव होगा। गुप्ता का कहना है कि स्वाइन फ्लू के लक्षणों में गले में दर्द, नाक बहना और तेज बुखार आना प्रमुख है। मरीज के ऐसे लक्षण दिखने पर उसे फौरन ही डॉक्टर से परामर्श लेकर उपचार शुरू कर देना चाहिए।

कोरोना : त्वरित प्रतिक्रिया दल बनेंगे
राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीज को ध्यान में रखते हुए प्रदेश भर में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही यहां के एक अस्पताल में भर्ती कोरोनो वायरस के संदिग्ध मरीज और इटली के पर्यटक से संपर्क में आए लोगों की जांच कराने को कहा है।डॉ शर्मा ने संदिग्ध मरीज के राजस्थान की सीमा में प्रवेश से लेकर भ्रमण किए गए विभिन्न स्थलों पर चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया टीम भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इस पर्यटक से संपर्क में आए सभी व्यक्तियों की जांच सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिए हैं।

उल्लेखनीय है कि इटली से 20 पर्यटकों का दल राज्य के मण्डावा, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, उदयपुर होते हुए जयपुर पहंचा था। यहां पहुंचने पर एक पर्यटक के बीमार होने पर उसे स्थानीय निजी चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया था एवं वहां से रैफर होने के बाद एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य रोहित कुमार सिंह ने एक आदेश जारी करके राज्य में कोरोना वायरस नियंत्रण के लिए समस्त मेडिकल कॉलेज स्तर पर त्वरित प्रतिक्रिया टीम का गठन करने के निर्देश दिए हैं। इन टीमों में पीएसएम विभाग, मेडिसिन विभाग, माइक्रोबायोलोजी विभाग व पीडियाट्रिशियन विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर व एपीडेमोलोजिस्ट को शामिल किया गया है। इन टीमों द्वारा कोरोना वायरस के संदिग्ध पर्यटक द्वारा जयपुर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर, मण्डावा (झुन्झुनूं) व जैसलमेर में ठहरने के होटल व भ्रमण स्थलों का निरीक्षण करके निर्धारित प्रोटोकोल के अनुसार आवश्यक गतिविधियां संपादित की जाएंगी।