महाकुंभ 2025 के आयोजन की तैयारी शुरू हो चुकी है, और इस बार प्रयागराज में यह उत्सव भव्यता के नए आयाम छूने वाला है। 13 जनवरी से शुरू होने वाले इस दिव्य आयोजन में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। आयोजन की भव्यता ने न केवल भक्तों बल्कि व्यापारियों को भी आकर्षित किया है।

दुकानों के किराए ने चौंकाया

प्रयागराज के कुंभ क्षेत्र में जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। मेला क्षेत्र में 30×30 फीट की एक दुकान का सालाना किराया 92 लाख रुपए तक पहुंच चुका है। यह किराया कचौड़ी की एक दुकान के लिए तय किया गया है। वहीं, बगल में स्थित लड्डू की दुकान का किराया 75 लाख रुपए है। यह किराए केवल डेढ़ महीने की मेले और संगम किनारे की भीड़ को ध्यान में रखकर तय किए गए हैं।

दुकानदारों की चुनौतियां और उम्मीदें

दुकानदारों के लिए इन भारी किरायों के बीच भी संभावनाओं की कमी नहीं है। संदीप मिश्रा, जो परेड ग्राउंड में प्रसाद और पूजन सामग्री की दुकान चलाते हैं, बताते हैं कि इस बार 15×30 फीट की जमीन के लिए उन्हें 16 लाख रुपए किराया देना पड़ा। पहले यही जमीन उन्हें 3-4 लाख में मिलती थी। वह कहते हैं, “किराया तो बढ़ा है, लेकिन महाकुंभ में व्यापार हमेशा अच्छा होता है।”

व्यापारियों की होड़ और संभावनाएं

महाकुंभ में दुकान लगाने का सपना हर व्यवसायी देख रहा है। आयोजन की भव्यता और श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए कमाई के अपार अवसर हैं। यही कारण है कि प्राइम लोकेशन की दुकानें छोटे व्यापारियों की पहुंच से बाहर हो गई हैं।

महाकुंभ का विस्तार

इस बार महाकुंभ का आयोजन 4,000 हेक्टेयर (15,840 बीघा) क्षेत्र में किया जा रहा है। पहली बार 13 किलोमीटर लंबा रिवर फ्रंट बनाया जा रहा है। कुंभ क्षेत्र में जेसीबी से जमीन समतल की जा रही है, गंगा पर पांटून पुल बनाए जा रहे हैं। तैयारियों का स्तर यह बताता है कि इस बार का कुंभ आयोजन दिव्य के साथ भव्य भी होगा।

महाकुंभ न केवल आध्यात्मिकता और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह व्यापारिक संभावनाओं का भी केंद्र बन गया है। लाखों की लागत वाली दुकानें और करोड़ों की भीड़ के साथ यह आयोजन भारतीय सांस्कृतिक धरोहर को एक नई ऊंचाई देगा। महाकुंभ 2025 का आयोजन एक ऐसा अवसर है जो व्यापारियों के लिए सुनहरे मौके लेकर आया है। भले ही किराए बढ़ गए हों, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ और कुंभ की महिमा इन चुनौतियों को फीका कर देती है।