Confluence of Devotional Songs and Spirituality: प्रयागराज के त्रिवेणी संगम तट पर हर बार की तरह इस वर्ष भी महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, लेकिन इस बार कुंभ की धारा में एक नई लहर का संचार होने वाला है। जहां एक ओर श्रद्धालु गंगा-यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित करेंगे, वहीं दूसरी ओर वे भक्ति और संगीत के संगम में भी तृप्त होंगे। पूरे महाकुंभ क्षेत्र में इस बार अध्यात्मिक ऊर्जा के साथ संगीत का अनुपम संगम देखने को मिलेगा, जो हर श्रद्धालु के मन और आत्मा को शांति और आनंद से भर देगा।
कुंभ मेले के इतिहास में पहली बार फिल्मी और पारंपरिक संगीत के माध्यम से भक्तों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान किया जाएगा। इस अनुभव का मुख्य केंद्र बनेगा गंगा पंडाल, जहां प्रतिष्ठित कलाकार अपनी सुरीली आवाज और सुरों के जादू से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। यह आयोजन उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जाएगा।
गंगा पंडाल में हर शाम होगा सुरों का संगम, संगीत और अध्यात्म का समागम
गंगा पंडाल में महाकुंभ के दौरान हर शाम सुरों का संगम होगा। यहां 10,000 श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था की गई है, जहां वे अपने प्रिय गायकों और संगीतकारों की प्रस्तुति का आनंद ले सकेंगे। इस कार्यक्रम में संगीत और अध्यात्म का अद्भुत समागम होगा, जो भक्तों को न केवल धार्मिक शांति, बल्कि एक मानसिक और भावनात्मक सुकून भी प्रदान करेगा।
10 जनवरी को शंकर महादेवन, 11 को मालिनी अवस्थी की प्रस्तुति
संगम नगरी के इस पवित्र आयोजन में भारतीय संगीत के दिग्गज गायकों और संगीतकारों की आवाज गूंजेगी। 10 जनवरी को प्रसिद्ध गायन शंकर महादेवन की सुरीली आवाज से यह सिलसिला शुरू होगा, जो श्रद्धालुओं के दिलों में अध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करेंगे। इसके बाद 11 जनवरी को लोक गायिका मालिनी अवस्थी की प्रस्तुति होगी, जो अपने लोक संगीत के माध्यम से कुंभ के आध्यात्मिक माहौल को और भी प्रगाढ़ करेंगी।
18 को कैलाश खेर, 19 को सोनू निगम बनाएंगे भक्तिमय माहौल
कैलाश खेर, जिनकी आवाज ने हमेशा भक्ति और संगीत के बीच की सीमाओं को धुंधला किया है, 18 जनवरी को अपनी प्रस्तुति देंगे। उनका संगीत ना केवल भक्ति की शांति प्रदान करता है, बल्कि एक अद्भुत ऊर्जा का भी अहसास कराता है। 19 जनवरी को सोनू निगम की आवाज की मधुरता से महाकुंभ के वातावरण में और भी भक्तिमय माहौल होगा।
लोक गायिका मैथिली ठाकुर और कविता पौडवाल के भजन भी गूंजेंगे
इसके बाद 20 जनवरी को मैथिली ठाकुर और 31 जनवरी को कविता पौडवाल की आवाज से भक्ति का और भी गहरा रंग चढ़ेगा। उनका संगीत न केवल उत्तर भारतीय भक्ति संगीत का प्रतिनिधित्व करेगा, बल्कि पूरे देश की सांस्कृतिक विविधता को भी एक मंच पर एकत्र करेगा। कुंभ मेला सिर्फ स्नान और तीर्थयात्रा का केंद्र नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का सबसे बड़ा उत्सव है। यहां हर तत्व में धर्म, दर्शन, और संस्कृति का अद्वितीय मिलाजुला रूप देखा जाता है। इस बार, संगीत के रूप में भी यही मिलाजुला रूप देखने को मिलेगा।
8 फरवरी को जुबिन नौटियाल बांधेंगे अध्यात्म की समां
1 फरवरी को विशाल भारद्वाज अपनी प्रस्तुति देंगे, जो अपनी धुनों और संगीत के जरिए कुंभ की भव्यता और दिव्यता को नए रंगों में रंगेंगे। इसके बाद 2 फरवरी को ऋचा शर्मा और 8 फरवरी को जुबिन नौटियाल अपनी आवाज से श्रद्धालुओं को अध्यात्म और संगीत के अद्भुत संगम का अनुभव कराएंगे।
रसिका शेखर, हंसराज रघुवंशी और श्रेया घोषाल के सुरों से सजेगी शाम
10 फरवरी को रसिका शेखर, 14 फरवरी को हंसराज रघुवंशी और 24 फरवरी को श्रेया घोषाल जैसे सितारे भी अपनी प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को आनंदित करेंगे। इन सभी कलाकारों की आवाज कुंभ के माहौल में एक विशेष रूप से संतुलित अध्यात्मिक और संगीतात्मक ऊर्जा को प्रकट करेगी, जो श्रद्धालुओं के लिए जीवनभर यादगार रहेगा।
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इस वर्ष के महाकुंभ में अध्यात्म और संगीत का जो संगम हो रहा है, वह न केवल भक्तों को भक्ति के रस में डुबोने का कार्य करेगा, बल्कि उन्हें एक अविस्मरणीय अनुभव भी प्रदान करेगा। गंगा पंडाल में हो रहे इन कार्यक्रमों में शामिल होने वाले हर व्यक्ति को यह अहसास होगा कि संगीत केवल मनोरंजन का एक साधन नहीं, बल्कि यह एक साधना है, जो मन को शांति और आत्मा को शुद्धता प्रदान करती है।
गंगा-यमुना के संगम पर, जहां एक ओर पवित्र जल श्रद्धालुओं के पाप धोने का कार्य करता है, वहीं दूसरी ओर संगीत के सुर भी उनके दिलों और मन को शुद्ध करते हैं। महाकुंभ का यह अद्भुत संगम सचमुच अनूठा होगा, जहां अध्यात्म और संगीत दोनों का एक साथ अनुभव किया जाएगा।
संगम नगरी में हो रहे इस आयोजन के माध्यम से यह साबित होता है कि कुंभ मेला केवल एक धार्मिक घटना नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पर्व भी है, जहां भारतीय संगीत और अध्यात्म का अद्भुत संगम होता है। महाकुंभ का यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए न केवल एक अद्भुत धार्मिक अनुभव होगा, बल्कि यह उन्हें भारतीय संगीत और कला की गहरी समझ भी प्रदान करेगा।
प्रयागराज के महाकुंभ में इस वर्ष का संगीत और अध्यात्म का संगम निश्चित रूप से हर श्रद्धालु के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है। गंगा पंडाल में होने वाली इन विशेष प्रस्तुतियों के साथ, महाकुंभ की गरिमा और भव्यता एक नई ऊंचाई तक पहुँचने वाली है। इस अद्वितीय आयोजन का हिस्सा बनकर श्रद्धालु न केवल अध्यात्मिक उन्नति करेंगे, बल्कि भारतीय संगीत की सुदृढ़ धारा से भी जुड़ सकेंगे।
हिंदू धर्म के लिए कुंभ मेला काफी खास होता है। ऐसा स्थान जहां पर दुनिया भर के साधु-संतों का जमावड़ा लगता है। ये महाकुंभ मेला देश के चार ही स्थानों में आयोजित किया जाता है। बता दें साल 2025 का महाकुंभ प्रयागराज में लगने वाला है जिसकी तैयारियां अपने अंतिम चरण में चल रही है। इस साल महाकुंभ 13 जनवरी 2025 से आरंभ हो रहा है, जो कुल 45 दिनों तक होते हुए 26 फरवरी को समाप्त हो रहा है। आप इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि नए साल में महाकुंभ कहां लग रहा है। लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि देश के चार पवित्र जगहों पर कब-कब महाकुंभ लगेगा और इसका निर्धारण कैसे किया जाता है। आइए जानते हैं ग्रहों की कैसी स्थिति के हिसाब से किया जाता है महाकुंभ मेले के स्थान का चयन…. पढ़ें पूरी खबर
