प्रयागराज में अगले महीने जनवरी से शुरू होने जा रहे महाकुंभ 2025 को अद्वितीय और ऐतिहासिक बनाने में कोई चूक नहीं रखी जा रही है। यह न सिर्फ एक साधारण मेला है, बल्कि हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और विशाल त्योहारों में से एक है, जो विश्वभर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। महाकुंभ के दौरान एक विशेष उपहार विदेशी मेहमानों को दिया जाएगा, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का अनमोल प्रतीक बनेगा।

करीब 100 देशों तक पहुंचेगी अक्षयवट की महिमा

यह उपहार होगा अक्षयवट के पवित्र पत्तों का, जो विशेष रूप से तैयार की गई मूंज की डलियों में सजाकर विदेशियों को भेंट किया जाएगा। अक्षयवट, हिंदू धर्म में अमरता का प्रतीक है और इसे श्रद्धा और आशीर्वाद का स्रोत माना जाता है। महाकुंभ में इस पवित्र वृक्ष की छांव में बैठने से एक विशेष आध्यात्मिक आशीर्वाद की प्राप्ति मानी जाती है। यही कारण है कि इन पत्तों को विदेशों से आए अतिथियों को एक खास उपहार के रूप में भेंट किया जाएगा। इससे करीब 100 देशों तक अक्षयवट की महिमा पहुंचेगी। इन पत्तों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिहाज से ही मूंज की डलिया में पैकिंग की जाएगी।

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एनआरएलएम (नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन) के तहत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को इस खास उपहार को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह महिलाएं पर्यावरण के अनुकूल मूंज की डलियां तैयार कर रही हैं, जो भारतीय हस्तशिल्प का बेहतरीन उदाहरण हैं। इन डलियों में रखे गए अक्षयवट के पत्ते एक दिव्य उपहार के रूप में अतिथियों को सौंपे जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य न सिर्फ महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और पारंपरिक हस्तशिल्प को बढ़ावा देना भी है।

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महाकुंभ 2025 में यह पहल भारतीय धार्मिकता, संस्कृति और महिलाओं के सशक्तिकरण का अद्भुत संगम प्रस्तुत करेगी। यह आयोजन न केवल भारत के धार्मिक मूल्यों को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करेगा, बल्कि यह भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति का भी बेजोड़ उदाहरण बनेगा। इस महान अवसर के माध्यम से, भारत एक बार फिर दुनिया को अपनी प्राचीन धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराएगा, और महाकुंभ के अनूठे अनुभव से हर विदेशी मेहमान को जुड़ने का एक अवसर मिलेगा।