Sangam Snan: प्रयागराज महाकुंभ मेला हर बार भारतीय संस्कृति और आस्था का एक अद्वितीय संगम प्रस्तुत करता है। दुनियाभर से हर वर्ग और क्षेत्र के लोग इस महान धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनने आते हैं। इस बार, महाकुंभ में भारत की प्राचीन परंपराओं और संस्कृति को करीब से समझने और अनुभव करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली और धनाढ्य महिलाएं भी संगम की रेती पर पहुंच रही हैं। दुनिया की सबसे बड़ी संचार तकनीकी कंपनी एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) की पत्नी और 25 बिलियन डॉलर की संपत्ति की मालिक, लॉरेन पॉवेल जॉब्स (Laurene Powell Jobs), इस आयोजन में शामिल हो रही हैं। वह न केवल संगम में पवित्र डुबकी लगाएंगी, बल्कि कुछ समय के लिए कल्पवास भी करेंगी। लॉरेन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और कमला हैरिस के चुनाव अभियानों का हिस्सा रह चुकी हैं। वह सनातन धर्म को करीब से समझने के लिए प्रयागराज आ रही हैं।
विशिष्ट लोगों के ठहरने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं
उनके अलावा, इंफोसिस फाउंडेशन की संस्थापक सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) और ओपी जिंदल समूह की चेयरपर्सन सावित्री देवी जिंदल (Savitri Jindal) भी इस महासंगम का हिस्सा बनेंगी। यह साबित करता है कि भारतीय धर्म और संस्कृति की गूंज सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव पूरी दुनिया में फैला है। महाकुंभ में इन विशिष्ट महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। लॉरेन पॉवेल जॉब्स के लिए संगम की रेती पर एक महाराजा डीलक्स कॉटेज तैयार किया गया है। वह 29 जनवरी तक निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में रहेंगी और भारतीय परंपराओं का गहराई से अनुभव करेंगी। सुधा मूर्ति के ठहरने की व्यवस्था उल्टा किला के पास बनाई गई है, जबकि सावित्री देवी जिंदल स्वामी अवधेशानंद और चिदानंद मुनि के शिविरों में रुकेंगी। इन प्रतिष्ठित महिलाओं की उपस्थिति महाकुंभ को एक नई वैश्विक पहचान देती है।
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महाकुंभ में फिल्म अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी भी भाग लेंगी। वह जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद के शिविर में रुकेंगी और संगम में पवित्र स्नान करेंगी। यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया है।
प्रयागराज महाकुंभ केवल भारत के धार्मिक उत्सवों में सबसे बड़ा नहीं है, बल्कि यह दुनिया का सबसे बड़ा मानव समागम है। यह आयोजन साबित करता है कि भारतीय संस्कृति में गहराई और आस्था का ऐसा मिश्रण है, जो हर किसी को आकर्षित करता है। चाहे वह आम श्रद्धालु हो या अरबपति, सब संगम की रेती पर समान भाव से आस्था में लीन होते हैं।
महाकुंभ न केवल आस्था का पर्व है, बल्कि यह भारत की समृद्ध संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का उत्सव है, जिसे दुनिया भर से आए लोग आत्मसात करते हैं।