सुप्रीम कोर्ट और जजों को लेकर किए गए ट्वीट पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पहले भी घिर चुके हैं। उन्हें अवमानना का केस झेलना पड़ा। एक बार फिर उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे को लेकर ट्वीट कर दिया। हालांकि उन्होंने अपने ट्वीट पर खेद जताने में भी ज्यादा देरी नहीं की। 21 अक्टूबर को उन्होंने एक ट्वीट किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री चीफ जस्टिस को प्राइवेट हेलिकॉप्टर से इसलिए टूर करवा रहे हैं क्योंकि उनके हाथ में ही विधायकों की सदस्यता है।

प्रशांत भूषण ने ट्वीट किया था, ‘मध्य प्रदेश की सरकार चीफ जस्टिस को इसलिए स्पेशल चॉपर उपलब्ध करवा रही है क्योंकि उनके विधायकों के डिसक्वालिफिकेशन से संबंधित फैसला अभी लंबित है। शिवराज सरकार उन्हें कान्हा नैशनल पार्क और उनके घर तक पहुंचा रही है क्योंकि उनकी सरकार चीफ जस्टस के ही हाथ में है।’ प्रशांत भूषण ने चार नवंबर को इस ट्वीट पर खेद व्यक्त किया है जब मध्य प्रदेश में उपचुनाव भी संपन्न हो गए।

उन्होंने दूसरे ट्वीट में कहा, ‘मध्य प्रदेश में जिन विधायकों की सदस्यता रद्द हुई थी उनकी सीटों पर कल मतदान हुए हैं। शिवराज सरकार रीइलेक्शन पर डिपेंड है, न कि कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के फैसले पर। मैं अपने ट्वीट में की गई गलती के लिए खेद व्यक्त करता हूं।’ बता दें कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर संकट आने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था लेकिन यह मामला वहीं खत्म हो गया था। इसके बाद मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर मतदान कराए गए हैं।

इससे पहले भी प्रशांत भूषण अवमानना के मामले में फंस चुके हैं। 27 जून और 29 जून को भूषण ने पूर्व और वर्तमान चीफ जस्टिस को लेकर ट्वीट किए थे। जजों न जवाब मांगा तो उन्होंने और ज्यादा आरोप लगा दिए। उन्होंने न्यायपालिका को लेकर तीन ट्वीट किए थे। कोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी करार दिया। कोर्ट में उन्हें बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया गया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। अंत में उनपर एक रुपये का जुर्माना लगाया गया था।