मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्रालय ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमैंट (IIM) बिल के वे सभी बदलाव कर दिए जैसे प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (पीएमओ) द्वारा करने को कहे गए थे। इससे सभी आईआईएम को पहले से ज्यादा स्वायत्तता मिलेगी। इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक 12 अगस्त को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इस बात के लिए सबसे पहले राजी हुई थे। इस फैसले से सभी आईआईएम अपनी मर्जी से स्वायत्त रूप से बोर्ड ऑफ गवर्नर (BOG) का चेयरमैन चुन सकेंगे। अब नियुक्ति में सरकार की भूमिका खत्म हो जाएगी। इस बिल में तीन मुख्य बदलाव की बात भी कही गई है। मानव संसाधन मंत्रालय ने अब जो ड्राफ्ट सौंपा है उसमें आईआईएम में राष्ट्रपति के रोल को भी कम करने के लिए कहा गया। इससे राष्ट्रपति आईआईएम के काम का रिव्यू नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा सभी संस्थान अपने डॉयरेक्टर चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। साथ ही प्रकाश जावड़ेकर ने एचआरडी मिनिस्टर को आईआईएम कोर्डिनेशन फोर्म के हेड के पद पर रहने का अधिकार भी खत्म करने की बात कही है।

इस बिल को लेकर पूर्व में मानव संसाधन विकास मंत्री रहीं स्मृति ईरानी और आईआईएम प्रशासन के बीच काफी बहस हुई थी। उस वक्त की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्मृति ईरानी आईआईएम में सरकार और एचआरडी मिनिस्ट्री का रोल कम नहीं होने देना चाहती थीं। इस वजह से उनकी और प्रधानमंत्री कार्यलय के बीच भी तकरार की खबरें आईं थीं। दरअसल, यह बिल प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की तरफ से ही लाया गया था, लेकिन स्मृति इसे मानने को तैयार नहीं थीं।

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मिली जानकारी के मुताबिक, प्रकाश जावड़ेकर ने पिछले महीने पीएमओ के साथ मीटिंग की थी। उस दौरान ही फैसला ले लिया गया था कि चेयरमैन को चुनने में अब सरकार का रोल नहीं रहेगा। गौरतलब है कि जुलाई में स्मृति ईरानी से एचआरडी मिनिस्टर का पद छीनकर प्रकाश जावड़ेकर को दे दिया गया था। वहीं स्मृति ईरानी को कपड़ा मंत्रालय दिया गया था। खबरें थी कि पीएमओ से चल रही तल्खी और बार-बार विवादों में पड़ने को लेकर उन्हें पद से हटाया गया था।