हाल ही में UN Population Fund की एक वार्षिक रिपोर्ट से पता चला कि भारत इस साल के मध्य तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। अनुमान के मुताबिक, उस समय तक भारत की जनसंख्या 1,428 मिलियन (142.8 करोड़) हो जाएगी, जो चीन की 1,425 मिलियन जनसंख्या से थोड़ा आगे है।

कोविड महामारी के कारण 2021 में नहीं हुई थी जनगणना

वहीं, अगर 2021 में जनगणना की गई होती तो भारत की आबादी की अधिक सटीक संख्या पता की जा सकती थी। 2021 की जनगणना को कोविड महामारी के कारण स्थगित करना पड़ा था। भारत की जनगणना की गिनती के 150 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि यह समय पर पूरी नहीं हुई। जनगणना कोविड महामारी खत्म होने और स्थिति सामान्य होने के बाद भी पेंडिंग है।

हालांकि, अब यह कब होगी इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। गणना का काम पारंपरिक रूप से जनगणना वर्ष के फरवरी महीने में किया जाता है, ऐसे में अगर उसी अभ्यास का पालन किया जाता है, तो यह जल्द से जल्द अगले साल फरवरी में की जा सकती है।

भारत में जनगणना संवैधानिक रूप से अनिवार्य

भारत में जनगणना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है लेकिन संविधान यह नहीं कहता कि जनगणना कब की जानी चाहिए या कितने अंतराल पर होनी चाहिए। 1948 के भारतीय जनगणना अधिनियम में भी इसके समय या अंतराल का उल्लेख नहीं है। ऐसे में कोई संवैधानिक या कानूनी बाध्यता नहीं है कि हर 10 साल में जनगणना की जानी चाहिए। हालांकि, यह कवायद 1881 के बाद से हर दशक के पहले साल में की जाती है।

यह कानूनी आवश्यकता नहीं है बल्कि जनगणना की उपयोगिता है जिसने इसे एक स्थायी नियमित अभ्यास बना दिया है। जनगणना प्राथमिक, प्रामाणिक डेटा देती है। ऐसे में लगातार बदलते मीट्रिक पर 12 साल पुराना डेटा विश्वसनीय नहीं है। जनसंख्या वैज्ञानिक और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर पी एम कुलकर्णी ने कहा, “इस साल जनगणना पूरी नहीं करने के कुछ कारण होने चाहिए, हालांकि मुझे नहीं पता कि वे क्या हो सकते हैं। इसके महत्व पर ज्यादा जोर नहीं दिया जा रहा है।”

2023 में की जा सकती है जनगणना

भारतीय जनगणना एक बड़ा और जटिल अभ्यास है। लगभग 140 करोड़ लोगों की गिनती करने और अन्य जनसांख्यिकीय और आर्थिक डेटा एकत्र करने के लिए लगभग 30 लाख गणनाकारों को अनुमानित 33 करोड़ घरों का दौरा करना पड़ता है। फिर भी 2023 जनगणना करने और आगे की देरी को रोकने के लिए एक आदर्श समय हो सकता था।

पिछले हफ्ते, जनगणना कार्यालय ने अपने संचालन के 150वें वर्ष पूरे होने पर 1981 से भारत की जनगणना अभ्यास पर एक विस्तृत दस्तावेज जारी किया। इसमें 2021 की जनगणना पर भी एक अध्याय है जो महामारी के कारण होने वाली रुकावट को दर्शाता है, लेकिन कहता है कि ब्रेक अन्य तरीकों से मददगार हो सकता है।

दस्तावेज के मुताबिक, “इस स्थिति ने इनोवेशन और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर जनगणना करने के लिए उपकरणों की फिर से जांच करने का अवसर भी दिया।” हालांकि, इस दस्तावेज में भी जनगणना को पूरा करने के लिए कोई डेट नहीं दी गयी है, केवल यह कहा गया है कि यह जल्द ही होगा। कोविड-19 महामारी ने भारत की जनगणना में रुकावट पैदा दी लेकिन उम्मीद की जाती है कि जनगणना में डिजिटल टेक्नोलॉजी के विकास और इनोवेशन जल्द ही भारत की 16वीं डिजिटल जनसंख्या जनगणना के अधूरे कार्य को पूरा करेंगे।