सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मशहूर एफएमसीजी कंपनी नेस्ले ने अपने प्रॉडक्ट मैगी में सीसा(लेड) होने की बात को कुबूल किया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एनसीडीआरसी द्वारा दर्ज कराए गए इस मामले में सुनवाई चल रही थी। मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी के वकीलों ने मैगी में सीसा होने की बात स्वीकार की। वकीलों की इस स्वीकारोक्ति से सरकार बनाम नेस्ले की लड़ाई एक बार फिर जोर पकड़ेगी। बता दें पिछले साल स्वास्थ्य सुरक्षा के मानदंडों पर खरा न उतरने के कारण पिछले साल टनों की मात्रा में मैगी को नष्ट कर दिया गया था।
इसके अलावा, सरकार ने मुआवजे के तौर पर 640 करोड़ रुपये की भी मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट के जज ने नेस्ले के वकील से सवाल किया कि उन्हें लेड की मौजूदगी वाला नूडल क्यों खाना चाहिए? उन्होंन पहले तर्क दिया था कि मैगी में सीसे की मात्रा परमीसिबल सीमा के अंदर थी, जबकि अब स्वीकार कर रहे हैं कि मैगी में सीसा था। उल्लेखनीय है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने जून, 2015 में निश्चित सीमा से अधिक लेड (सीसा) पाये जाने के कारण नेस्ले के लोकप्रिय नूडल ब्रांड मैगी को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद कंपनी को बाजार से अपने उत्पाद वापस लेने पड़े थे और इसके बाद सरकार ने एनसीडीआरसी का रुख किया था।
नेस्ले ने बयान जारी कर कहा है, ‘‘नेस्ले इंडिया मैगी नूडल मामले में उच्चतम न्यायालय के (बृहस्पतिवार के) आदेश का स्वागत करती है।’’ न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई), मैसुरु की रपट आगे की कार्यवाही का आधार बनेगी। इस संस्थान में मैगी नूडल के नमूनों की जांच की गयी थी। नेस्ले के मुताबिक सीएफटीआरआई का ‘विश्लेषण दिखाता है कि मैगी नूडल के नमूनों में सीसे और अन्य सामग्री तय मानकों के अनुरुप ही थे।’ हालांकि नेस्ले इंडिया ने कहा कि आदेश प्राप्त होने के बाद ही अधिक जानकारी मिल सकेगी। शीर्ष अदालत ने नेस्ले द्वारा एनसीडीआरसी के अंतरिम आदेश को चुनौती दिये जाने के बाद आयोग की कार्यवाही पर स्थगन लगा दिया था।