Pope Francis Death: वेटिकन ने सोमवार को बताया कि पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक चर्च का नेतृत्व करने वाले पहले लैटिन अमेरिकी थे और 13 मार्च, 2013 को उन्हें सर्वोच्च पोप के रूप में चुना गया था।

अपने कार्यकाल के आखिरी कुछ महीनों में पोप को कई बार अस्पताल जाना पड़ा था क्योंकि उनका स्वास्थ्य बेहद खराब रहा था। पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर, 1936 को ब्यूनस आयर्स में जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के रूप में हुआ था। अपने कार्यकाल में उन्होंने वेटिकन की नौकरशाही को पुनर्गठित किया और 65 से ज़्यादा देशों की यात्रा की।

पोप फ्रांसिस नहीं रहे, कल ही ईस्टर के कार्यक्रम में हुए थे शामिल लेकिन सहयोगी ने पढ़ा था भाषण

2021 में पोप फ्रांसिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत आने के निमंत्रण को स्वीकार किया था। पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा था कि पोप फ्रांसिस 2025 के बाद भारत आ सकते हैं। उन्होंने पोप फ्रांसिस के जल्द से जल्द भारत आने की उम्मीद जताई थी।

पोप फ्रांसिस से मुलाकात के बाद मोदी ने ट्विटर पर कहा था, “पोप फ्रांसिस के साथ बहुत गर्मजोशी से मुलाकात हुई। मुझे उनके साथ कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला और मैंने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया।” भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह निमंत्रण पोप को “जल्द भारत आने के लिए” दिया गया था, जिसे उन्होंने खुशी से स्वीकार कर लिया था। G7 शिखर सम्मेलन के दौरान 2024 में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोप फ्रांसिस से मुलाकात हुई थी। 

भारत की यात्रा करने वाले अंतिम पोप जॉन पॉल द्वितीय थे, जो एशिया में चर्च पर एक पोप दस्तावेज जारी करने के लिए 1999 में नई दिल्ली आए थे।

पीएम मोदी ने जताया गहरा दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। मोदी ने कहा, “पोप फ्रांसिस को दुनिया भर के लाखों लोग हमेशा करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक के रूप में याद रखेंगे। छोटी उम्र से ही उन्होंने प्रभु ईसा मसीह के आदर्शों को साकार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। उन्होंने गरीबों और वंचितों की मन लगाकर सेवा की।”

मोदी ने कहा कि वह पोप फ्रांसिस के साथ अपनी मुलाकातों को याद कर रहे हैं। 

पोप फ्रांसिस के पिता मारियो रेलवे विभाग में एकाउंटेंट थे। उनकी मां का नाम रेजिना सिवोरी था। पोप फ्रांसिस पांच भाई-बहन थे। chemical technician में ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पादरी बनने का फैसला किया और विला देवोटो के डायोसेसन सेमिनरी में दाखिला लिया। 11 मार्च, 1958 को वे सोसाइटी ऑफ जीसस में शामिल हो गए।