दिल्ली की मशहूर लव कुश रामलीला में इस बार मॉडल और एक्ट्रेस पूनम पांडे रावण की पत्नी मंदोदरी का किरदार निभाने जा रही हैं। जब से यह खबर आई है, सोशल मीडिया पर एक अलग ही बहस छिड़ गई है। मंदोदरी का किरदार उन्हें मिलना कई लोगों को रास नहीं आ रहा। कुछ लोग रामलीला कमेटी पर भी सवाल उठा रहे हैं। सबसे ज्यादा निशाने पर इस समय पूनम पांडे और रामलीला कमेटी को विश्व हिंदू परिषद ने लिया है।

दिल्ली बीजेपी मीडिया सेल के प्रमुख और लव कुश रामलीला कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रवीण शंकर कपूर ने आयोजकों को अपनी तरफ से चिट्ठी लिखी है। चिट्ठी में उन्होंने जोर देकर कहा है कि पूनम पांडे को मंदोदरी का किरदार नहीं निभाना चाहिए और किसी दूसरे कलाकार को मौका मिलना चाहिए।

वीएचपी की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता सुरेंद्र गुप्ता ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए जोर देकर कहा है कि पूनम पांडे अपनी विवादित छवि के लिए जानी जाती हैं। सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें और वीडियो वे साझा करती हैं, उन्हें देखते हुए धार्मिक भूमिका निभाना उनकी तरफ से उचित नहीं माना जा सकता।

इसी कड़ी में अखिल भारतीय संत समिति ने भी अपना विरोध जताया है। राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा है कि रामलीला की जितनी भी समितियां हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कलाकार की पृष्ठभूमि और आचरण कैसा है। रामलीला की प्रतिष्ठा को किसी भी कीमत पर ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए।

इसके अलावा, जगतगुरु बालक देवाचार्य ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मंदोदरी पंच कन्याओं में से एक हैं। वह मर्यादा और पवित्रता की प्रतीक हैं। ऐसे किरदार को कोई भी साधारण कलाकार नहीं निभा सकता। इसी कड़ी में कंप्यूटर बाबा ने भी टिप्पणी करते हुए पूनम पांडे को सुझाव दिया है कि वह मंदोदरी नहीं, बल्कि कोई और किरदार निभाएं।

दैनिक भास्कर से बातचीत में महामंडलेश्वर शैलेंद्रानंद महाराज ने अलग नजरिया अपनाया है। उनका मानना है कि चित्र और चरित्र में अंतर होता है। ऐसे में अगर पूनम पांडे मंदोदरी का किरदार निभाती भी हैं और वह रामायण का सही तरीके से अध्ययन करती हैं, तो उनके जीवन में आध्यात्मिक बदलाव आ सकता है। अगर कोई भी कलाकार इस तरह से पौराणिक पात्र निभाता है, तो इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए।

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