भारतीय जनता पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल होने जा रही पूनम झा, निलंबित भाजपा नेता कीर्ति आजाद की पत्नी हैं। पूनम का ‘आप’ का दामन छोड़ने का फैसला अनायास नहीं लिया गया, इसके पीछे करीब एक साल से घट रहा घटनाक्रम है। डीडीसीए में भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता व वर्तमान वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ कीर्ति आजाद ने कैसे मोर्चा खोला था, यह सबको याद होगा। इसक बाद के घटनाक्रम ने पूनम को भी भाजपा से दूर कर दिया। दरअसल सितंबर 2015 में पूनम ने कहा था कि उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक अधिकारी ने उन्हें नवंबर 2015 में सेंसर बोर्ड के सलाहकार पैनल का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि 24 नवंबर का मंत्रालय द्वारा जारी की गई नोटिफिकेशन में 108 नाम थे, लेकिन पूनम आजाद का नाम लिस्ट में नहीं था। उस समय अरुण जेटली के पास सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का अतरिक्त कार्यभार था। चर्चा जोरों पर थी कि कीर्ति आजाद के विरोध का जवाब देने के लिए जेटली ने पूनम का नाम काट दिया। तब द हिंदू से बातचीत में पूनम झा आजाद ने कहा था, ”मेरी श्री जेटली के साथ समीकरण ठीक नहीं हैं और पूर्व में दिल्ली और फिर बिहार में चुनाव लड़ने के लिए टिकट की मांग खारिज कर दी गई, जबकि मैं आसानी से पूर्वांचल का सबसे जाना-पहचाना चेहरा हूं। मैं जेटली के मंत्रालय से मिले इस ऑफिसर से चौंक गई हूं।”
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सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने कहा था कि सलाहकार पैनल के सदस्य उनके मातहत काम करेंगे, लेकिन उन्हें चुना मंत्रालय द्वारा गया है। जेटली और आजाद दंपत्ति के बीच रिश्तों में खटास का असर दोनों के भाजपा से जुड़ाव पर भी पड़ने लगा। कुछ दिन पहले पूनम आजाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उनके परिवार के साथ पार्टी (बीजेपी) अन्याय कर रही है। उन्होंने कीर्ति आजाद के पार्टी से निलंबन पर भी सवाल उठाए थे। भाजपा से बिगड़ते रिश्तों के बीच पूनम ने आम आदमी पार्टी को बेहतर विकल्प समझा।
‘आप’ के नेता संजय सिंह ने पूनम को पार्टी में लाने में अहम भूमिका निभाई। कई दौर की मुलाकातों के बाद आखिरकार, मंगलवार को संजय ने पूनम के ‘आप’ में शामिल होने का ऐलान किया। पूनम 13 नवंबर को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगी।