कांवड़ मेले के स्थगित होने बहाने कांग्रेस और भाजपा में राजनीति शुरू हो गई है। जहां राज्य सरकार ने कांवड़ियों के लिए उनके ही राज्य में गंगाजल पहुंचाने का निर्णय लिया है, वहीं कांग्रेस की युवा इकाई ने भी कांवड़ियों के राज्यों में स्थित शिवालयों में गंगाजल से भरी गंगाजली पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। इस तरह गंगा जल को लेकर कांग्रेस और भाजपा में राजनीति शुरू हो गई।
उत्तराखंड में कांवड़ मेला स्थगित होने के कारण राज्य सरकार ने उन राज्यों में श्रद्धालुओं के लिए गंगाजल पहुंचाने का निर्णय लिया है, जिनसे श्रद्धालु हरिद्वार में गंगा तट पर कांवड़ लेकर गंगा जल लेने आते हैं। राज्य के कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि इस बार सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बैठक कर कांवड़ मेला स्थगित कर दिया है इसलिए श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए इसमें हमारे द्वारा दूसरे राज्यों की सरकारों का पूरा सहयोग किया जाएगा और उन्हें हरिद्वार हर की पौड़ी का गंगाजल उपलब्ध कराया जाएगा। दूसरे राज्यों की सरकारें किसी भी माध्यम से गंगाजल यहां से लेकर जाएंगी जिसमें हम पूरा सहयोग देंगे।
वहीं दूसरी ओर कांवड़ मेले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। उत्तराखंड सरकार के इसफैसले के समानांतर उत्तराखंड युवा कांग्रेस ने भी उन राज्यों में गंगाजल से भरी 10 लाख गंगाजलियां शिवालय तक पहुंचाने का फैसला लिया है जिनसे कांवड़िए हरिद्वार गंगा जल लेने आते हैं। युवा कांग्रेस उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष सुमित्तर भुल्लर का कहना है कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली के 10 हजार शिवालयों में गंगाजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। और आगामी सोमवार से युवा कांग्रेस द्वारा सीमांत प्रदेशों में स्थित शिवालयों तक गंगाजल पहुंचाने का काम शुरू किया जाएगा।
शिव की कर्म और तपोभूमि है उत्तराखंड
उत्तराखंड भगवान शिव की कमर्भूमि और तपोभूमि दोनों है। इस देवभूमि में हर साल सावन के महीने में विभिन्न स्थानों पर शिवालयों में भगवान शंकर को समर्पित सावन के मेले लगते हैं जिनमें लाखों-करोड़ों लोग भाग लेते हैं। सबसे प्रसिद्ध मेला हरिद्वार का कांवड़ मेला है इसमें 15 दिनों में देश भर से पांच छह करोड़ लोग गंगाजल भरने के लिए हरिद्वार के गंगा घाटों पर आते हैं।
करीबन 3 करोड़ लोग पैदल ही अपने गांव गंगाजल लेकर जाते हैं। करीब 2 करोड़ लोग निजी वाहनों से डाक कावड़ के रूप में हरिद्वार आते हैं। हरिद्वार से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान की सड़कें कावड़ियों के काफिला से भरी होती हैं और पूरा यह क्षेत्र 15 दिनों तक बम भोले के नारों से गुंजायमान रहता है।
