केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार से जुड़ी जानकारी देने से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने साफ मना कर दिया है। एक आरटीआई के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि जानकारी किसी विशेष मुद्दे पर फोकस नहीं है। यह किसी प्रयोजन विशेष से प्रभावित है और इसे पूरा करने में कार्यालय का श्रम और वक्त दोनों बर्बाद होगा। PMO का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई के एक अधिकारी ने केंद्रीय कोयला एवं खान राज्यमंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। गौरतलब है कि हरिभाई पार्थीभाई चौधरी गुजरात के बनासकांठा से सांसद हैं और उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी का करीबी बताया जाता है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के डीआईजी एमके सिन्हा ने केंद्रीय मंत्री हरिभाई चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि सीबीआई केस में मदद मुहैया कराने के लिए केंद्रीय कोयला और खान राज्यमंत्री हरिभाई पार्थी भाई चौधरी को करोड़ों रुपये घूस दिए गए।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरटीआई के जरिए केंद्रीय मंत्रियों से जुड़े भ्रष्टाचार की जानकारी संजीव चतुर्वेदी ने मांगी है। चतुर्वेदी को एक व्हिसलब्लोअर नौकरशाह के रूप में जाना जाता है। इससे पहले उन्होंने विजिलेंस अफसर रहते हुए 2012-14 के बीच एम्स में व्याप्त कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया था।
चतुर्वेदी के सवालों के जवाब में पीएमओ ने कहा है कि इसमें स्पष्टता का अभाव है। जितने भी मंत्रालय से जुड़े काम हुए हैं उनकी फाइले अलग-अलग जगहों पर हैं। जानकारी का आकार इतना बड़ा है कि इसे चिन्हित करना और श्रेणीबद्ध करना करीब-करीब मुश्किल है। ऐसे में तमाम मंत्रालयों की जानकारी देने के लिए सभी की अंडरटेकिंग लेनी पड़ेगी। लिहाजा, यह श्रम और वक्त की बर्बादी है और आरटीआई की धारा 8 (9) के खिलाफ है।
