साल 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बन रही थी, तब प्रधानमंत्री कार्यालय से गोवा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर को तीन बार फोन किया गया था। इसके बाद ही मनोहर पर्रिकर केंद्र में मंत्री बनने को तैयार हुए थे। हालांकि, रक्षा मंत्री बनने के बाद उन्होंने कई काम किए लेकिन उनकी व्यक्तिगत जिंदगी में कई उलझनें आ गई थीं। वो दिल्ली में अकेला महसूस करने लगे थे। पर्रिकर को दिल्ली सूट नहीं कर रहा था। वो यहां के प्रदूषण और दरबारी संस्कृति से परेशान थे। उन्हें अपने पुराने दोस्तों की कमी और गोवा की मछलियों के स्वाद की कमी भी खटक रही थी।
इतना ही नहीं तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली से मनोहर पर्रिकर के रिश्ते भी सामान्य नहीं थे। मोदी सरकार के दोनों वरिष्ठ मंत्रियों में पट नहीं रही थी। पर्रिकर ने ‘वन रैंक, वन पेंशन’ मामले में जेटली पर जानबूझकर देरी करने के भी आरोप लगाए थे। जब भारत ने जब 2016 में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी तब पर्रिकर रातभर नहीं सो सके थे और जैसे ही उन्हें स्ट्राइक की सफलता की सूचना मिली तो उन्होंने अपने बेटे को फोन कर कहा था, ‘पाकिस्तान उडायलो।’
मनोहर पर्रिकर की जिंदगी से जुड़े ऐसे ही और खुलासे जल्द ही आम लोगों के बीच होंगे क्योंकि उनकी जिंदगी पर आधारित एक किताब ‘ऐन एक्स्ट्राऑर्डिनरी लाइफ’ जल्द ही लॉन्च होने जा रही है। पर्रिकर की इस आत्मकथा को सदगुरु पाटिल और मायाभूषण नागवेनकर नाम के दो पत्रकारों ने लिखा है।
किताब पेंगुइन रैंडसम हाउस ने प्रकाशित की है। इस किताब में पर्रिकर के रिश्तेदारों, दोस्तों और उनके साथ काम कर चुके सिविल सेवकों की जुबानी दर्ज की गई है। बता दें कि मनोहर पर्रिकर गोवा के चार बार मुख्यमंत्री चह चुके हैं। मार्च 2019 में पैनक्रियाटिक कैंसर की वजह से उनका निधन हो गया था।
किताब में दावा किया गया है कि भारत ने उरी आतंकी हमले से पहले साल 2015 के जून में ही पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी शुरू कर ली थी और जैसे ही उसी में आतंकी हमला हुआ, उसके 11 दिन बाद भारत ने स्ट्राइक कर दिया। पर्रिकर के ओएसडी रहे उपेंद्र जोशी ने उरी हमले के बारे में लेखकों को बताया कि स्ट्राइक के मुद्दे पर पर्रिकर की इच्छा स्पष्ट थी।
जोशी के मुताबिक, “जैसे ही भारत ने पाकिस्तान से बदला लेने की ठानी, रक्षा मंत्रालय में इंटेलिजेंस एजेंसियों के प्रमुखों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, टॉप मिलिट्री अफसरों और राजनयिक नेतृत्व के बीच कई दौर में बैठकें हुईं। साउथ ब्लॉक में एक वॉर रूम बनाया गया था।” जोशी कहते हैं कि उस वक्त बंद कमरे में भारत का इतिहास लिखा जा रहा था। बतौर जोशी जब स्ट्राइक होनेवाली थी था, तब वॉर रूम में पर्रिकर के अलावा तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे।

