PMAY-G Funds: ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक पॉर्लियामेंट्री पैनल को जानकारी दी है कि फाइनेंसियल ईअर (2024-25) के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत बंगाल को 7,888.67 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने का फैसला सक्षम प्राधिकारी के पास पेंडिंग है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी स्थायी समिति को यह जानकारी दी।
ग्रामीण विकास विभाग की मांगों की जांच के दौरान समिति ने बीई, आरई और एई में पीएमएवाई-जी समेत अलग ग्रामीण विकास योजनाओं के आवंटन में वैरिएशन के कारणों के बारे में पूछताछ की। विभाग ने समिति को बताया कि 2024-25 के लिए पीएमएवाई-जी का बजटीय आवंटन बजट अनुमान चरण में 54,500.14 करोड़ रुपये था। यह घटकर 32,426.33 करोड़ रुपये और एई में 17,731.96 करोड़ रुपये हो गया।
विभाग ने क्या बताया?
पीएमएवाई-जी के तहत कम व्यय के कारणों में विभाग ने यह बताया है। इसमें पहला यह है कि आम चुनाव-विधानसभा चुनावों के कारण योजना में प्रगति और बाद में होने वाले व्यय प्रभावित हुए। फाइनेंसियल ईअर 2023-24 की आखिरी तिमाही में राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को अधिकतम राशि जारी की गई। इसका इस्तेमाल राज्यों द्वारा चालू वर्ष में किया जा रहा है। इसकी वजह से वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में पीएमएवाई-जी के तहत व्यय पर असर पड़ा।
सक्षम अधिकारी के पास फैसला पेंडिंग
चालू वित्त वर्ष में पश्चिम बंगाल को 7,888.67 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करने का फैसला सक्षम प्राधिकारी के पास पेंडिंग है। योजना को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ही 2 करोड़ घरों के निर्माण के लिए विस्तार मिला और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बाद सितंबर 2024 में राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों को नए टारगेट भी आवंटित किए गए। इससे योजना के तहत धनराशि जारी होने में देरी होती है।
प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर आया बड़ा अपडेट
केंद्रीय विभाग के जवाब के बाद समिति ने सिफारिश की है कि पश्चिम बंगाल को सभी पात्र सालों के लिए उसके सही बकाये का भुगतान किया जाए। समिति ने विभाग को अपनी रिपोर्ट में कहा कि समिति ने मंत्रालय की तरफ से दिए गए आंकड़ों से पाया है कि फाइनेंसियल ईअर 2022-23, 2023-24 और चालू वित्त वर्ष के लिए मनरेगा और अलग-अलग योजनाओं के तहत पश्चिम बंगाल राज्य को कोई केंद्रीय धनराशि जारी नहीं की गई है।
निलंबन की वजह से गंभीर परिणाम सामने आए
समिति ने कहा कि निधि के निरंतर निलंबन की वजह से गंभीर नतीजे सामने आए हैं। इसमें संकट के कारण पलायन में तेज बढ़ोतरी और ग्रामीण विकास पहलों में बाधा शामिल है। इसका ग्रामीण आबादी की आजीविका पर असर पड़ा। इससे राज्य में आर्थिक कठिनाइयां बढ़ गईं। कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि समिति अनुशंसा करती है कि पश्चिम बंगाल को सभी पात्र सालों के लिए उसका बकाया मिले, सिवाय उस साल के जो वर्तमान में कोर्ट में विवाद में है। इसके अलावा लंबित भुगतान बिना किसी देरी के जारी किए जाने चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चल रही ग्रामीण विकास परियोजनाएं रुकी न रहें और लाभार्थियों को वित्तीय बाधाओं के कारण परेशानी न उठानी पड़े।
केंद्र ने पिछले तीन सालों से मनरेगा के तहत पश्चिम बंगाल को जारी की जाने वाली धनराशि को निलंबित कर रखा है। इसने पीएमएवाई-जी के तहत पश्चिम बंगाल को जारी की जाने वाली धनराशि को भी निलंबित कर रखा है। केंद्र ने मनरेगा 2005 की धारा 27 का हवाला देते हुए 9 मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को धन जारी करने पर रोक लगा दी थी। केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया गया था। तब से राज्य में इस योजना के तहत कोई काम नहीं हुआ है।
गिरिराज सिंह ने दी थी जानकारी
टीएमसी सदस्य जवाहर सरकार की तरफ से पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने 6 दिसंबर 2023 को राज्यसभा को बताया था कि दो योजनाओं एमजीएनआरईजीएस और पीएमएवाई-जी के लिए केंद्रीय हिस्से के रूप में 13,965.91 करोड़ रुपये लंबित हैं। हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार के सूत्रों का कहना है कि तीन ग्रामीण विकास योजनाओं मनरेगा, पीएमएवाई-जी और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लगभग 18,000 करोड़ रुपये का कुल बकाया लंबित है।
जनवरी के महीने में पश्चिम बंगाल के ग्रामीण विकास मंत्री प्रदीप के मजूमदार ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखकर धनराशि जारी करने का आग्रह करने के लिए बैठक करने के लिए समय मांगा था। राजस्थान में आदिवासियों की ‘प्रथा’ बनी प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की राह में रोड़ा