भारत एवं रूस ने शनिवार (15 अक्टूबर) को आतंकवादियों एवं उनके समर्थकों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की आवश्यकता पर सहमति जतायी। साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति वाल्दीमिर पुतिन के साथ आतंकवाद के बारे में बातचीत के दौरान उरी हमले की क्रेमलिन द्वारा की गयी पुरजोर निंदा के लिए उनकी सराहना की। इस बातचीत में पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के बारे में भी चर्चा हुई। मोदी ने पुतिन के साथ अपनी वार्षिक शिखर बैठक के बाद यहां संयुक्त मीडिया कार्यक्रम में कहा, ‘आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता के बारे में रूस के स्पष्ट रुख में हमारा स्वयं का रुख भी प्रतिबिंबित होता है। हम पूरे क्षेत्र को खतरा पैदा करने वाले सीमा पार आतंकवाद से लड़ने में अपनी कार्रवाई को समझने और उसका समर्थन करने के लिए रूस की काफी प्रशंसा करते हैं। हमने आतंकवादियों एवं उनके समर्थकों से निबटने के मामले में बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की आवश्यकता की पुष्टि की है।’

यह पूछने पर कि पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा भी बातचीत में उठा, विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा, ‘उरी तथा आतंकी हमलों को दिए गए समर्थन का मुद्दा सीमित दायरे में उठा।’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की मेजबानी में होने वाले दोपहर भोज में मोदी एवं पुतिन के बीच बातचीत में आतंकवाद के पीछे की ताकतों के बारे में विस्तार से बातचीत होगी। पुतिन ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में निकट सहयोग कर रहे हैं। बातचीत के बारे में जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘राष्ट्रपति पुतिन ने भारत के साथ विशेष एवं विशिष्ट सामरिक भागीदारी के बारे में प्रतिबद्धता को जारी रखने की पुष्टि की तथा आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के रुख में समानता होने की ओर ध्यान दिलाया। भारतीय पक्ष ने उरी में सेना के ठिकाने पर किये गये आतंकवादी हमले का पुरजोर विरोध करने पर रूस की सराहना की।’

पाकिस्तान के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करने को लेकर रूस से अपना विरोध चुके भारत का मानना है कि पाकिस्तान ऐसा देश है जो आतंकवाद को राज्य की नीति के रूप में प्रायोजित करता है और उसका पालन करता है। भारत ने यह भी कहा कि वह रूस द्वारा उसके हितों को समझे जाने को लेकर संतुष्ट है। जयशंकर से हालिया पाक रूस संयुक्त सैन्य अभ्यास को लेकर भारत की चिंताओं पर रूस की प्रतिक्रिया के बारे में सवाल किया गया। इसके जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘हम संतुष्ट हैं कि रूस भारत का हित समझता है तथा वे कभी भारत के हितों के खिलाफ कुछ नहीं करेंगे। मुझे लगता है कि इस विषय में हमारे विचार बहुत मजबूती से मिलते हैं।’

विदेश सचिव ने यह भी दावा किया कि रूस के साथ मित्रता की पुष्टि ऐसी है जिस पर भारत भरोसा करता है और दोनों ऐसा कुछ नहीं करेंगे जो उनके हितों के विरूद्ध हों। उन्होंने कहा कि रूस एक भागीदार से बढ़कर है। संयुक्त बयान में कहा गया कि मोदी एवं पुतिन ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कड़ी भर्त्सना करते हुए इस बात पर बल दिया कि इसके उन्मूलन के लिए व्यापक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय गठबंधन हो। इसमें कहा गया, ‘उन्होंने आतंकवादियों को सुरक्षित शरणस्थली दिये जाने से रोकने, आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली विचारधारा और कट्टरपंथ के प्रसार से निबटने, भर्ती पर रोक लगाने, आतंकवादियों एवं विदेशी आतंकी लड़ाकों की यात्राओं पर रोक लगाने, सीमा प्रबंध को मजबूत करने तथा प्रभावी कानूनी सहायता एवं प्रत्यर्पण प्रबंधों पर बल दिया।’ इसमें यह भी कहा गया, ‘नेताओं ने आतंकवाद के प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने के सिद्धान्त पर आधारित मजबूत कानूनी प्रणाली की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि अंतरराष्ट्री आतंकवाद पर समग्र संधि को जल्द करवाए जाने के बारे में गंभीर प्रयास किए जाएं।’