पीएम नरेंद्र मोदी ने सोमवार को केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों से मुलाकात की। दूसरी बार सत्ता में लौटने के बाद पीएम की अफसरों से यह पहली मुलाकात थी। मुलाकात में पीएम ने अपने 2014 वाले एजेंडे को दोहराया, जिसमें सरकारी प्रक्रियाओं और नियम कायदों को आसान बनाने की बात कही गई थी। आम लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने पर सरकार कैसे फोकस करे, यह बात समझाने के लिए मोदी ने टैक्सी एग्रीगेटर उबर और प्राइवेट मोबाइल कंपनियों का उदाहरण दिया।
मीटिंग में मौजूद एक सूत्र ने बताया, ‘पीएम ने अपनी बात रखी कि सरकार ऐसी हो जो नागरिकों की जिंदगी आसान बनाए। उन्होंने उबर का उदाहरण दिया, पीएम के मुताबिक इस सेवा ने लोगों की जिंदगी आसान की और यह सुनिश्चित किया कि जनता पूरी तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर ही निर्भर न हो। पीएम ने मोबाइल कंपनियों का भी उदाहरण दिया जिन्होंने लोगों को डाक विभाग के अलावा दूसरे विकल्प भी मुहैया कराए।’ सूत्र के मुताबिक, पीएम ने कहा कि हमारा ध्यान लोगों की जिंदगी आसान बनाने पर केंद्रित हो, न कि उनकी जिंदगी के सभी पहलुओं में दखल देनी पर।
मीटिंग में मौजूद एक सचिव ने सुझाव दिया कि सरकार एक ‘डेवलपमेंट अथॉरिटी’ के तौर पर काम करे न कि ‘रेगुलेटरी अथॉरिटी’ के तौर पर। इस सचिव ने बताया कि सरकार ऐसे कई नियम-कायदों से दबी पड़ी है, जिन्हें लागू करना मुमकिन नहीं है। अफसर के मुताबिक, सरकार को इस व्यवस्था से बाहर निकलने की जरूरत है। सूत्र के मुताबिक, सचिव ने शासन और नियमों-कायदों को लेकर एक आम राय जाहिर करते हुए कहा, ‘सरल कर दिया पर सुगम नहीं किया।’ बता दें कि पीएम मोदी ने सभी मंत्रालयों के लिए एक शॉर्ट टर्म और एक लॉन्ग टर्म लक्ष्य निर्धारित किया है। पीएम ने सचिवों को निर्देश दिया कि हर मंत्रालय के लिए एक 5 साल का प्लान डॉक्युमेंट तैयार किया जाए। इस कार्य योजना में लक्ष्य साफ तौर पर निर्धारित हों और इसे शुरू करने की इजाजत 100 दिन के भीतर ले ली जाए।
मीटिंग के बाद मोदी ने चाय पर कुछ ऐसे सचिवों से भी बातचीत की, जिन्हें बैठक के दौरान अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। पीएम ने केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के स्कोर की जानकारी मांगी। स्कोर यानी कितने लोग इस योजना से लाभांवित हुए। इस पर एक अफसर ने उन्हें बताया कि फिलहाल यह ‘स्कोर’ 28 लाख है, लेकिन ये आंकड़े दैनिक या साप्ताहिक आधार पर अपडेट नहीं होते।