भारतीय सुरक्षाबलों के लिए आधुनिक असॉल्ट राइफल, हेलमेट और कवच जैसी चीजों के लिए खरीदारी का काम शुरू किया गया है। इसके तहत 20 साल पुरानी भारतीय राइफलों को उपयोग से बाहर किया जा रहा है और 1.85 लाख असॉल्ट राइफलों का ऑर्डर दिया जाएगा। साथ ही रक्षा मंत्रालय को हजारों बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट खरीदने होंगे। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 250 बिलियन डॉलर के सेनाओं के आधुनिकीकरण के प्रयास के तहत उठाया जा रहा है। इन उपकरणों को विदेशों से खरीदा जाना था लेकिन नौकरशाही के स्तर पर देरी और सरकार के मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के कारण इन्हें खरीदा नहीं जा सका। मेक इन इंडिया के जरिए भारत में उत्पादन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।
भारतीय सेना में मेजर रहे और वर्तमान में सिंगापुर की एस राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर अनीत मुखर्जी ने बताया, ”यह अच्छी बात है कि इस दिशा में काम किया जा रहा है लेकिन निराशा की बात यह है कि मेक इन इंडिया में काम नहीं हो रहा। सच बात यह है कि भारतीयों को यह कहने में 10 साल लग गए कि, हां, हम आपूर्ति कर रहे हैं। इसका मतलब है कि नौकरशाही सेना के आधुनिकीकरण को के काम को रोक के बैठी रही। यह समस्या की बात है।”
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भारतीय सेना वर्तमान में इनसास या इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम राइफल्स इस्तेमाल कर रही हैं। इन्हें 1990 में शामिल किया गया था। भारतीय और नेपाली सेना के जवानों ने कई बार इस बारे में शिकायत की है कि इन्हें चलाने में दिक्कत होती है। नई राइफल्स को खरीदने के लिए रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने सूचना मांगी थी। इसमें कहा गया कि उन्हें बड़ी और ज्यादा मारक 7.62 एमएम मॉडल की शूट टू किल राइफल चाहिए। भारत को कॉन्ट्रेक्ट साइन करने के बाद 28 महीनों में 65 हजार राइफल चाहिए। रक्षा मंत्रालय ने वैश्विक हथियार निर्माताओं से सात नवंबर तक जवाब देने को कहा है।
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राइफल खरीद के लिए भारत अप्रैल 2017 में टेंडर जारी कर सकता है। इससे पहले साल 2011 में भी राइफल खरीद के लिए आवेदन मांगे गए थे। लेकिन जरुरत पर खरे ना उतर पाने के बाद 2015 में इस टेंडर को रद्द कर दिया गया। असॉल्ट राइफल के साथ ही भारतीय सेना को लाइट ऑटोमैटिक राइफल्स और मशीन गन, स्नाइपर राइफल्स की जरुरत है।
शुरुआत में 43 हजार कार्बाइन लेने का विचार है। साथ ही 1.20 लाख राइफल भारतीय फैक्टरियों में बनाने की कोशिश होगी। सेना को साढ़े तीन लाख बुलेट प्रूफ जैकेट की जरुरत है। इस साल के शुरू में आपात जरुरत के लिए 50 हजार यूनिट खरीदने का फैसला लिया गया। सेना को डेढ़ लाख लाइटवेट हेलमेट खरीदने का मामला भी आगे बढ़ा है।