रेलवे के निजीकरण की आशंका को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि जनता को भारतीय रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए विदेशी और निजी क्षेत्र की पंूजी के इस्तेमाल से चिंतित नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने में मदद मिलेगी।
अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर पहुंचे मोदी ने बचपन में एक रेलवे स्टेशन के पास चाय बेचने के अपने दिनों को याद करते हुए कहा कि मेरा रेलवे से नाता इतना पुराना है जितना रेलवे के ज्यादातर कर्मचारियों का नहीं होगा। उन्होंने मजदूर संगठनों से इस संबंध में अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील करते हुए कहा कि यह गलत धारणा है कि रेलवे का निजीकरण किया जा रहा है। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हम रेलवे का निजीकरण नहीं कर रहे हैं। हम इस दिशा में नहीं जा सकते। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह न तो हमारी इच्छा है और न ही हमारी सोच है।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि उन्होंने देश और विदेश में उद्योग प्रतिष्ठानों के पास उपलब्ध अपार पूंजी का इस्तेमाल बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा- हमें रेलवे की बड़ी बुनियादी संरचना की क्षमता को समझने और सराहने की जरूरत है जिसका अगर सही इस्तेमाल किया गया तो देश की अर्थव्यवस्था बदल सकती है।
प्रधानमंत्री ने रेलवे के बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए निजी और विदेशी निवेश को लेकर आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि हम सेवाओं में सुधार के लिए, प्रौद्योगिकी के उन्नयन के लिए और बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए आम आदमी की जेब पर बोझ क्यों बढ़ाएं। क्यों न यहां और देश के बाहर के कारोबारी समूहों के पास उपलब्ध अपार धन का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने कहा- कृपया आशंका मत रखिए। अगर कोई विदेशी कंपनी हमारे रेलवे स्टेशनों की हालत सुधारने में सहयोग देती है और बदले में आसपास कोई ऊंची इमारत खड़ी करती है तो आखिरकार फायदा तो देश का ही होगा। हमें रेलवे को सुधारने के अनूठे तरीकों पर विचार करना होगा। इसलिए मैंने अपनी सांसद विकास निधि का इस्तेमाल वाराणसी के स्टेशनों पर और बेंच लगाने के लिए करने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री मोदी शहर के बाहरी क्षेत्र में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (डीएलडब्लू) में एक कार्यशाला के विस्तार की परियोजना के उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने यहां 4500 हॉर्स पॉवर के वातानुकूलित यात्री ट्रेन इंजन को राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि अगर हम रेलवे स्टेशनों के आसपास कुछ कमरे बनाते हैं तो हम इनका इस्तेमाल कौशल विकास केंद्र स्थापित करने के लिए कर सकते हैं जो गांव और आसपास के क्षेत्रों में बेरोजगार युवाओं के लिए अद्भुत काम कर सकते हैं। प्रतिभाशाली युवाओं के लिए रेलवे एक आकर्षक करिअर विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमें तकनीकी उन्नति की और बेहतर मानव संसाधन प्रबंधन की जरूरत होगी। इस उद्देश्य से हमने देशभर में चार रेलवे विश्वविद्यालय स्थापित करने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों में रेलवे और इसके परिचालन में रुचि रखने वाले युवा यथासंभव सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण प्राप्त कर नौकरी पा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने डीएलडब्लू की एक कार्यशाला के विस्तार की परियोजना का भी उद्घाटन किया और कहा कि इस परियोजना को मेरी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के अहम हिस्से के तौर पर देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा- मुझे देश को आधुनिक रेल इंजन समर्पित करते हुए गर्व का अनुभव हो रहा है जिसके बारे में मुझे बताया गया है कि इसके 96 फीसद कलपुर्जे स्वदेश निर्मित हैं। मुझे यहां अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि ऐसे प्रयास किए जाएंगे कि बाकी चार फीसद कलपुर्जे भी यहां विकसित किए जाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब हमें खाद्यान्न दूसरे देशों से आयातित करना पड़ता था लेकिन आज हम उससे काफी आगे आ गए हैं। मोदी ने कहा कि देश काफी आगे बढ़ चुका है और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का खाद्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का सपना पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि अब हमें खुद अपनी सभी जरूरतों को पूरा करने का सपना देखना चाहिए और मौजूदा समय को पीछे छोड़कर आगे निकलना चाहिए जहां हम रक्षा उपकरणों से लेकर आंसूगैस के गोलों तक सभी तरह की चीजों का आयात कर रहे हैं।