PM Modi Guyana Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों गुयाना के दो दिवसीय दौरे पर हैं। पीएम मोदी के एयर पोर्ट पहुंचने पर खुद गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली और उनकी कैबिनेट के मंत्रियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। गुयाना के राष्ट्रपति डॉ मोहम्मद इरफान अली ने गुयाना के 4 मंत्रियों, ग्रेनेडा के प्रधानमंत्री और बारबाडोस के प्रधानमंत्री के साथ गुयाना के जॉर्जटाउन स्थित एक होटल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगवानी की।

प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में गुयाना के जॉर्जटाउन में सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए। अपनी यात्रा के दौरान, पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और गुयाना की संसद की एक विशेष बैठक को संबोधित करेंगे। वह दूसरे भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन में कैरेबियाई साझेदार देशों के नेताओं के साथ भी शामिल होंगे।

नरेंद्र मोदी 56 सालों में गुयाना जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। वह गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली के निमंत्रण पर वहां पहुंचे हैं। गुयाना की लगभग 40 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल की है। यहां तक कि वहां के राष्ट्रपति इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं। उनके पूर्वज 19वीं सदी की शुरुआत में गिरमिटिया मजदूर के तौर पर गुयाना पहुंचे थे। इस सबके बीच एक सवाल यह भी उठता है कि कौन होते हैं गिरमिटिया मजदूर और इनका भारत से क्या कनेक्शन है?

1838 में पहली बार गिरमिटिया मजदूर गुयाना पहुंचे थे

19वीं सदी की शुरुआत में बिहार और उत्तर प्रदेश के गांवों से भारी तादाद में लोग मजदूर के तौर पर यूरोप के कई देशों में गए, इन्हीं मजदूरों को बाद में गिरमिटिया कहा गया। कहा जाता है कि लगभग 15 लाख भारतीय बेहतर भविष्य की उम्मीद में जहाजों के जरिए मॉरीशस, सूरीनाम, गुयाना, हॉलैंड, त्रिनिदाद और फिजी जैसे देशों में भेजे गए और फिर कभी वापस नहीं लौटे।

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साल 1838 में पहली बार गिरमिटिया मजदूर गुयाना पहुंचे थे। 1917 तक गुयाना में लगभग 2.4 लाख गिरमिटिया मजदूर पहुंचे थे। आज गुयाना में भारतीय समुदाय की संख्या लगभग 40 फीसदी आबादी है। ये लोग गिरमिटिया मजदूरों के वंशज हैं, जिन्होंने गुयाना में अपनी जड़ें जमाईं हैं।

ये गिरमिटिया जदूर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से गए थे, जिन्होंने चीनी, गन्ना, और कई फसलों की खेती में काम किया और गुयाना की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि, इन गिरमिटिया मजदूरों को शारीरिक और मानसिक शोषण का सामना करना पड़ा था।