आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर पीएम मोदी खुद नजर बनाए हुए हैं। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी खुद एक सर्वे करा रहे हैं, जिसके तहत जनता से पार्टी सांसदों के बारे में राय ली जा रही है। इस सर्वे की अहमियत इसी बात से पता चलती है कि पीएम मोदी ने एक वीडियो बनाकर खुद देश की जनता से इसमें भाग लेने की अपील की। बता दें कि यह सर्वे पीएम मोदी की NAMO APP पर आयोजित कराया जा रहा है। इस सर्वे को ‘People’s Pulse’ नाम दिया गया है। माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा के टिकट वितरण में यह सर्वे काफी अहम साबित हो सकता है।
ये सवाल कर सकता है पार्टी सांसदों को परेशानः इस सर्वे के लिए पीएम मोदी ने एक वीडियो बनाकर जनता से कई सवाल करते हुए उनके जवाब देने की अपील की है। कई सवालों में से एक सवाल ऐसा है, जिससे पार्टी सांसदों को चिंता हो सकती है, इस सवाल के तहत जनता से पूछा गया है कि “वह अपने संसदीय क्षेत्र में तीन लोकप्रिय भाजपा नेताओं के नाम बताएं?” ऐसी खबरें हैं कि यदि लोग मौजूदा सांसद के कामकाज से नाखुशी जाहिर करते हैं तो सांसद का टिकट काटा भी जा सकता है। इसके अलावा जनता से कई और सवाल भी पूछे गए हैं जिनमें विकास कार्यों और गवर्नेंस से जुड़े मुद्दे शामिल हैं। ये सवाल ऐसे हैं, जिन पर यदि जनता ने अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया तो पार्टी सांसद की चिंता स्वभाविक तौर पर बढ़ सकती है।
हिंदी पट्टी क्षेत्रों में अहमः भाजपा के अधिकतर सांसद उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से चुने गए हैं। गौरतलब है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी को विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन के बाद पार्टी के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। यही वजह है कि भाजपा 2019 चुनावों टिकट बांटते हुए काफी सावधानी बरत रही है। ऐसी चर्चाएं हैं कि हालिया विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के कई विधायकों के खिलाफ नाराजगी थी, लेकिन इसके बावजूद उनके टिकट नहीं काटे गए। चुनाव नतीजों को देखकर साफ पता चलता है कि भाजपा को कड़े मुकाबले में इस गलती का खामियाजा भुगतना पड़ा।
60 फीसदी सांसदों से नाराजगीः हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा कार्यकर्ताओं में पार्टी के 60 फीसदी सांसदों के प्रति नाराजगी है। इस बात का खुलासा भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दौरान हुआ है। बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान पार्टी नेताओं ने जब कार्यकर्ताओं से आगामी चुनावों को लेकर चर्चा की तो 60 फीसदी सांसदों के कामकाज से पार्टी कार्यकर्ताओं ने नाखुशी जाहिर कर पार्टी की चिंता बढ़ा दी।