नए संसद भवन के छह द्वारों में से एक, गज द्वार के पास लगे ‘क्रमांक एक पेड़’ को विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) ने सुरक्षा बाधा के रूप में चिह्नित किया है। शीघ्र ही इसे परिसर के भीतर प्रेरणा स्थल पर लगाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर गज द्वार का इस्तेमाल करते हैं। इस पेड़ को दूसरे स्थान पर लगाने के इस निर्णय में कई एजंसियां एसपीजी, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्लूडी) और दिल्ली वन विभाग शामिल हैं। एसपीजी प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है जबकि सीपीडब्लूडी केंद्र सरकार की प्राथमिक निर्माण एजंसी है और उसे ही इस निर्णय को लागू करना है।

दिल्ली वन विभाग को इस तरह के कदम को हरी झंडी देनी होती है। यह सब तब शुरू हुआ जब एसपीजी ने पूर्ण विकसित तबेबुइया अर्जेटिंया वृक्ष को वीवीआइपी मार्ग में संभावित बाधा के रूप में चिह्नित किया। उसके बाद ही चीजें आगे बढ़ने लगीं। इस पेड़ को ‘सिल्वर ट्रम्पेट’ के नाम से जाना जाता है और यह अपने चमकीले पीले फूलों के लिए खास है। ‘क्रमांक एक’ वाले इस पेड़ को अन्य स्थान पर लगाने की प्रक्रिया शीघ्र ही शुरू होगी।

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दिल्ली वन विभाग सीपीडब्लूडी के अनुरोध के बाद ‘कड़ी शर्तों’ के आधार पर इसकी अनुमति दे देगा। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने अपने अनुरोध में एसपीजी की सुरक्षा चिंताओं का हवाला दिया था। एक अधिकारी ने बताया कि चूंकि मानसून सत्र अभी-अभी समाप्त हुआ है, इसलिए पेड़ को अगले सप्ताह कहीं और लगाने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रेरणा स्थल को चुना गया है, जहां राष्ट्रीय प्रतीकों और स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियां स्थापित हैं। पहले ये प्रतीक एवं मूर्तियां परिसर में अलग-अलग जगहों पर थीं। दस्तावेज में कहा गया है कि इस वृक्ष को लगाने के लिए संसद भवन में जिस आइजी4 प्रेरणा स्थल का प्रस्ताव दिया गया है उसका संबंधित क्षेत्रीय कर्मचारियों ने 21 जुलाई को निरीक्षण किया था और इसे एक वृक्ष के प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त और पर्याप्त पाया था।

लगभग सात साल पुराना यह वृक्ष तेजी से बढ़ता है, इसे कम देखभाल की आवश्यकता होती है। यह पूर्ण सूर्यप्रकाश और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पनपता है, यही कारण है कि इसे बगीचों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अक्सर देखा जा सकता है। इसके अलावा, सीपीडब्लूडी को प्रेरणा स्थल पर नीम, अमलतास, पीपल, बरगद, शीशम और अर्जुन जैसी देशी प्रजातियों के 10 पौधों का प्रतिपूरक वृक्षारोपण भी करना होगा।