प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी आजादी सिर्फ भारत के लिए नहीं थी, बल्कि यह विश्व के दूसरे हिस्सों में उपनिवेशवाद के खात्मे के लिए निर्णायक क्षण था। हमारे देश के सामने बड़ी चुनौतियां गरीबी, अशिक्षा और कुपोषण हैं। मोदी ने कहा कि 1942 में ‘करो या मरो’ के नारे ने पूरे देश को प्रेरित किया, उसी प्रकार से हम ‘करेंगे और करके रहेंगे’ का संकल्प लें व 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान संकल्प से सिद्धि के भाव के साथ कार्य करें और गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार की चुनौती से लड़ने व उसे दूर करने का कार्य करें। हम सभी मिलकर नौजवानों को स्वरोजगार के और अवसर देंगे और देकर रहेंगे। वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में विशेष चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब हम 2017 में हैं तब मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता हूं कि आज हमारे पास गांधी नहीं हैं, आज हमारे पास उस समय की ऊंचाई वाला नेतृत्व नहीं है लेकिन सवा सौ करोड़ देशवासियों के साथ हम उस सपने को पूरा कर सकते हैं जो उन्होंने देखा था। मोदी ने कहा कि स्वतंत्रता का संघर्ष 1857 से लेकर महात्मा गांधी के भारत आने, बापू के दांडी सत्याग्रह, बाल गंगाधर तिलक के स्वराज के आह्वान और चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, चापेकर बंधुओं के प्रयासों के माध्यम से धीरे-धीरे बढ़ते रहे। वर्ष 1942 से 1947 तक स्वतंत्रता संघर्ष का प्रभाव तेजी से देखने को मिला और 1942 के आंदोलन ने अंग्रेजों को देश से जाने पर मजबूर कर दिया।

उसी प्रकार से देश के विकास की यात्रा भी रही। यह भी पहले धीरे-धीरे बढ़ती रही। लेकिन पिछले 30-40 वर्षों में इसमें काफी बदलाव आए और प्रौद्योगिकी ने सब कुछ बदल कर रख दिया। अधिकारों और कर्तव्यों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में जाने अनजाने में अधिकार भाव प्रबल हो गया है और कर्तव्य भाव खत्म होता जा रहा है। हमारे चरित्र में कुछ गलत भाव का प्रवेश हो गया है। हमें लगता ही नहीं कि हम कुछ गलत कर रहे हैं। हमारी जीवनशैली ही ऐसा हो गई है कि छोटी-छोटी बातों पर कानून तोड़ रहे हैं। मरीज को कुछ हो जाए, तो डाक्टरों पर हमला कर देते हैं, कोई घटना हो तो सड़क पर वाहन में आग लगा देना। यह नेतृत्व का काम है कि सभी में कानून के प्रति जिम्मेदारी का भाव भरे।
प्रधानमंत्री ने सांसदों से आह्वान किया कि अपने मतभेदों से ऊपर उठकर स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने का साझा प्रयास करें और अगले पांच वर्षों में 2017 से 2022 के बीच संकल्प से सिद्धि के रूप में इसे पूरा करने में योगदान दें। अगर 1942 का आह्वान ‘करो या मरो’ का संकल्प था तब आज हम संकल्प करें कि ‘करेंगे और करके रहेंगे’। मोदी ने कहा कि हम सभी मिलकर देश से भ्रष्टाचार दूर करेंगे, और करके रहेंगे। हम सभी मिलकर गरीबों को उनका अधिकार दिलाएंगे और दिलाकर रहेंगे। हम सभी मिलकर नौजवानों को स्वरोजगार के और अवसर देंगे और देकर रहेंगे। हम सभी मिलकर देश से कुपोषण की समस्या को खत्म करेंगे और करके रहेंगे। हम सभी मिलकर महिलाओं को आगे बढ़ने से रोकने वाली बेड़ियों को खत्म करेंगे और करके रहेंगे। हम सभी मिलकर देश से अशिक्षा को खत्म करेंगे और करके रहेंगे।