केन्द्र की मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही देश में निवेश का माहौल बनाने के लिए काफी प्रयास किया। मोदी सरकार की इन कोशिशों का ही नतीजा था वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत ने 30 स्थान की छलांग लगायी थी। हालांकि अभी आयी एक खबर से प्रतीत होता है कि जमीनी स्तर पर अभी भी भारत में निवेश का आदर्श माहौल नहीं बन पाया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की टॉप इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी Flex ने अपना प्रोडक्शन प्लांट तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर से मलेशिया ले जाने की धमकी दी है। 26 बिलियन डॉलर की कंपनी Flex का दावा है कि अगस्त में उसने अपील की थी कि चेन्नई के SEZ इलाके में स्थित उसकी फैक्ट्री के दूसरे प्लांट से ही प्रोडक्ट को इंपोर्ट करने के लिए उन्हें ड्यूटी फ्री किया जाए।
इसके साथ ही कंपनी ने मांग की थी कि आंध्र प्रदेश में उनकी दूसरी कंपनी शुरु होने की सूरत में उसके प्रोडक्ट्स को 6 महीने के लिए ड्यूटी फ्री किया जाए। कंपनी का दावा है कि आईटी और कॉमर्स मंत्रालय द्वारा उन्हें इस बात का आश्वासन दिया गया था। हालांकि सरकार की तरफ से अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। कंपनी ने इस संबंध में एक पत्र आईटी सचिव अजय साहनी, कॉमर्स सचिव अनूप वाधवा और वित्त सचिव हसमुख अधिया को भेजा है।
[bc_video video_id=”5846896716001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”default” embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]
कंपनी का कहना है कि उसे एक भारतीय कंपनी को सालाना 96 मिलियन हैंडसेट सप्लाई का ऑर्डर मिला है और इस ऑर्डर को पूरा करने के लिए उसे प्रोडक्शन में छूट की सख्त जरुरत है। कंपनी का कहना है कि चेन्नई स्थित फैक्ट्री से इस ऑर्डर को पूरा नहीं किया जा सकता है। बता दें कि कंपनी ने कस्टम ड्यूटी में भी 20 प्रतिशत छूट देने की मांग की है। कंपनी ने इसके लिए सरकार द्वारा पूर्व में दी गई छूट का हवाला दिया है। दरअसल सरकार ने कंपनी को पूर्व में पॉवर जेनरेशन, ट्रांसमिशन और पॉवर के डिस्ट्रिब्यूशन में DTA के तहत छूट दी थी। कंपनी का कहना है कि भारत सरकार आसियान देशों की कंपनियों को भी ड्यूटी फ्री आयात की सुविधा देती है। बता दें कि कंपनी आंध्र प्रदेश में कंपनी करीब 1.5 हजार करोड़ रुपए का निवेश कर नई फैक्ट्री लगाने पर विचार कर रही है। ऐसे में यदि सरकार की तरफ से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया तो उसे 1.5 हजार करोड़ रुपए के निवेश का नुकसान उठाना होगा।
