कोराना वायरस महामारी के खिलाफ जंग के लिए बनाए गए पीएम केयर्स फंड ने सीएसआर फ़ंड के 10 हजार करोड़ रुपये अकेले जुटा लिए हैं। जिसके चलते देशभर के एनजीओ की फंडिंग में भारी कटौती देखने को मिली है।
‘द क्विंट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनजीओ प्रयास के संस्थापक और नीति आयोग के स्टैंडिंग कमेटी के समन्वयक अमोद कंठ का का कहना है कि जो राशि हमें सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) फंडिंग से मिलती थी उसमें भारी कटौती की गई है। मुझे लगता है कि इस साल सीएसआर फंडिंग में 40-50% कटौती जरूर देखने को मिलेगी। इसके पीछे की मुख्य वजह पीएम केयर फ़ंड है।
सीएसआर फंड सेवा प्रदाता एनजीओ के लिए दान के मुख्य स्रोतों में से एक हैं। लेकिन इस साल, मार्च 2020 के बाद से, सीएसआर फंड का एक बड़ा हिस्सा पीएम केयर के लिए जा रहा है। जिसके चलते कई एनजीओ अपने कल्याणकारी कार्यक्रमों को चलाने में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
प्रयासा के निदेशक विश्वजीत घोषाल ने कहा अचानक हमें पता चलता है कि PM CARES फंड के कारण, हमारे अधिकांश फंड कुछ दबाव में हैं, या देश के प्रति प्रतिबद्धता के कारण उनका हमारे तरफ समर्थन 50% तक कम हो गया है।
अमोद कंठ ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में पूरे भारत में 11,800 करोड़ रुपये से अधिक सीएसआर फंड खर्च किए गए। लेकिन अप्रैल 2020 के बाद से 10,000 करोड़ से अधिक सीएसआर दान पीएम कार्स फंड को चले गए हैं।
कोराना से लड़ने के लिए मार्च 2020 में सरकार द्वारा पीएम केयर फ़ंड लॉन्च किया गया था। अमोद कंठ का तर्क है कि अगर बहुत सारे सीएसआर फंड सरकारी राहत फंड में जाते हैं, तो एनजीओ सेक्टर को काफी संघर्ष करना पड़ेगा।
