बॉम्‍बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर गुजारिश की गई है कि भाजपा को दिया गया ‘कमल’ का निशान वापस ले लिया जाए। याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा है कि वह चुनाव आयोग को इस संबंध में निर्देश दे। याचिका में तर्क दिया गया है कि कमल राष्‍ट्रीय पुष्‍प है और इसका किसी पार्टी के चुनाव चिन्‍ह के तौर पर इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकता। याचिका में आरोप लगाया गया है भाजपा चुनावी उद्देश्‍यों के लिए कमल का इस्‍तेमाल कर रही है कि जो कि Emblems and Names (Prevention of improper use) Act 1950 का सीधा-सीधा उल्‍लंघन है।

याचिका दायर करने वाले हेमंत पाटिल ने कहा, ”कमल एक पवित्र फूल है जिसे प्राचीन भारत की कला और पौराणिक कथाओं में महत्‍वपूर्ण स्‍थान प्राप्‍त है। यह भारतीय संस्‍कृति का शुभ चिन्‍ह है। कमल देवी लक्ष्‍मी का पुष्‍प है और धन, समृद्धि एवं उर्वरता का प्रतीक है।” याचिका पर अगले सप्‍ताह सुनवाई हो सकती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने चुनाव आयोग से बीजेपी का कमल निशान छीनने के लिए अपील की थी, मगर उस पर अमल नहीं किया गया, इसलिए मुझे बॉम्‍बे हाई कोर्ट जाना पड़ा।

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याचिका के अनुसार, चुनाव आयोग ने भाजपा आयोग को 25 साल पहले चुनाव चिन्‍ह के तौर पर ‘कमल’ आवंटित किया गया था, लेकिन किसी पार्टी या व्‍यक्ति ने कभी इसपर आपत्ति नहीं जताई। जबकि यह Emblems and Names (Prevention of improper use) Act का उल्‍लंघन है।

याचिका में अदालत से दरख्‍वास्‍त की गई है कि वह चुनाव आयोग को निर्देश दी कि वह बीजेपी का कमल का निशान आवंटित करने के सभी कागजातों के रिकॉर्ड मुहैया कराए और तब तक पार्टी को दिए गए चिन्‍ह पर रोक लगाए।