गुड़गांव की एक अदालत ने भड़काऊ भाषण देने के आरोपी  युवक को जमानत देने से इनकार कर दिया। 19 वर्षीय युवक जामिया में नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों पर गोली चलाने का भी आरोपी है। अदालत ने कहा कि हेट स्पीच को लोगों ने आजकल फैशन बना लिया है। युवक को हाल ही में भड़काऊ भाषण मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहम्मद सगीर ने कहा कि “अदालत की अंतरात्मा” वीडियो से “पूरी तरह से स्तब्ध” है और कहा कि इस तरह के “धर्म या जाति के आधार पर अभद्र भाषा” एक “फैशन” बन गया है। पुलिस भी ऐसे मामलों में “असहाय” दिखाई दे रही है। आदेश में कहा गया है कि इस तरह की घटनाएं आजकल बहुत आम हो गई हैं और आम आदमी को धर्म, जाति आदि के नाम पर हिंसा का लगातार खतरा है। इस घटना को केवल एक युवा व्यक्ति की धार्मिक असहिष्णुता के संबंध में नहीं देखा जा सकता है, बल्कि यह कहीं अधिक ही गंभीर और खतरनाक छिपे हुए परिणाम हैं।

यदि ऐसे लोगों को स्वतंत्र रूप से घूमने और इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दी जाती है, तो सांप्रदायिक सद्भाव पर इसका गलत असर हो सकता है। यह गलत संदेश देगा कि इस प्रकार के कृत्य समाज में स्वीकार्य हैं।अदालत ने कहा कि आम लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले महामारी से भी अधिक खतरनाक हैं।

अदालत ने कहा कि महामारी में लोगों की लापरवाही से जान जाती है। लेकिन सांप्रदायिक हिंसा केवल धर्म के आधार पर लोगों की जान ले लेता है। आदेश में कहा गया है कि आरोपी को उसके जघन्य अपराध के बावजूद जमानत देना, शांतिपूर्ण समाज को धर्म या जाति के आधार पर विभाजित करने के बराबर है। इससे विभाजनकारी ताकतों को गलत संदेश जाएगा।

आरोपी के जमानत अर्जी को खारिज करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कहा, अगर आरोपी को रिहा किया जाता है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि कानून और व्यवस्था पर संकट पैदा हो सकता है और आरोपी व्यक्ति फिर से इस तरह की असंवैधानिक और अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि आरोपी सांप्रदायिक सद्भाव और शांति को भंग कर सकता है।

बताते चलें आरोपी युवक ने महापांचायत के दौरान लव जिहाद, धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दों को लेकर मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया था। इससे पहले पिछले साल उसने जामिया में नागरिकता कानून का विरोध कर रहे लोगों पर गोली चला दी थी।