Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक शख्स के खिलाफ एफआईआर को खारिज कर दिया। उसके बैग से 2021 में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सामान की जांच के दौरान जिंदा कारतूस बरामद किया गया था। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस संजीव नरूला ने पाया कि आरोपी मोहम्मद तारिक रहमान को बरामद कारतूस का होश नहीं था और यह अनजाने में उसके सामान में छूट गया था।
कोर्ट ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि कारतूस अनजाने में उसके बैगेज में छूट गया था, जिसकी वजह अनजाने में हुई चूक थी। याचिकाकर्ता को इसकी मौजूदगी के बारे में तब तक पता नहीं चला जब तक कि एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान सिक्योरिटी फोर्स ने इसका पता नहीं लगा लिया। इन परिस्थितियों को देखते हुए, यह उचित रूप से अनुमान लगाया जा सकता है कि याचिकाकर्ता के पास कारतूस होना कॉन्शियस पोसेशन के दायरे में नहीं आता है।’
लॉकेट बनाने के मकसद से अपने पास में रखा
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, रहमान ने दावा किया कि उसे अपने घर के पास गोला-बारूद मिला था और उसने इसे लॉकेट बनाने के मकसद से अपने पास में रखा था। वह कमर्शियल पायलट बनने के लिए साउथ अफ्रीका में ट्रेनिंग ले रहा था। आज उसके पास में कमर्शियल एयरक्राफ्ट पायलट लाइसेंस है। कोर्ट ने 28 फरवरी के फैसले में कहा कि रहमान ने किसी भी गलत इरादे से गोला-बारूद नहीं रखा था।
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कोर्ट ने कहा, ‘यह साफ है कि याचिकाकर्ता को अपने सामान में गोला-बारूद की मौजूदगी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री याचिकाकर्ता की ओर से किसी भी तरह की आपराधिक मंशा या दोषपूर्ण इरादे का सुझाव नहीं देती है, न ही यह संकेत देती है कि गोला-बारूद किसी गैरकानूनी उद्देश्य से ले जाया गया था।’
रहमान के पास फायर आर्म्स बरामद नहीं हुआ
कोर्ट ने यह भी कहा कि रहमान के पास से गोला-बारूद के साथ कोई भी फायर आर्म बरामद नहीं हुआ व ऐसा कोई आरोप भी नहीं है कि उसने गोला-बारूद का इस्तेमाल करने की कोशिश की। इस तरह कोर्ट ने यह देखते हुए एफआईआर रद्द कर दी कि आर्म्स एक्ट के तहत कोई अपराध नहीं बनता। हालांकि, कोर्ट ने रहमान पर 25,000 रुपए का जुर्माना लगाया और कहा कि अगर उनकी तरफ से ज्यादा सावधानी बरती जाती तो इस स्थिति से बचा जा सकता था। कोर्ट ने तर्क देते हुए कहा कि सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी सभी घटनाओं को गंभीरता से लेना जरूरी है, चाहे इरादे कुछ भी हो, आपराधिक कार्यवाही की शुरुआत याचिकाकर्ता की ओर से चूक का एक नतीजा थी। कोर्ट याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाना सही समझती है। अगर आप भारत को पसंद नहीं करते तो यहां काम मत कीजिए