छात्रा ने पिछले साल कस्तूरबा मेडिकल कालेज में दाखिला लिया था। इस साल वह फिर नीट-पीजी 2022-23 में शामिल हुई। कालेज के अधिकारी उसके मूल दस्तावेज वापस नहीं दे रहे थे। जिस कारण वह काउंसिलिंग में भाग नहीं ले पा रही थी। इसीलिए उसने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी थी।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने छात्रा के पक्ष में आदेश दिया कि उसे 26 अक्तूबर से 30 अक्तूबर के दौरान होने वाली काउंसिलिंग में भाग लेने दिया जाए। जिस कालेज में छात्रा ने पिछले साल दाखिला लिया था, वह मूल दस्तावेज वापस करने के बदले दो साल की फीस की मांग कर रहा है। कालेज का कहना है कि छात्रा ने प्रवेश के समय तीन साल की फीस चुकाने का बांड दिया था। पीठ ने छात्रा की याचिका पर प्रतिवादियों से 25 नवंबर तक जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील दीपक प्रकाश ने पीठ को अवगत कराया कि वह शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 के लिए नीट पीजी परीक्षा में शामिल हुई थी और उसने कस्तूरबा मेडिकल कालेज में एमएस में स्रातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया था। पर वह अपने विषय से संतुष्ट नहीं थी और वह फिर से शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए नीट पीजी परीक्षा में शामिल हुई। वह योग्य है और दूसरी काउंसलिंग में शामिल होना चाहती है।
याचिकाकर्ता आशंकित है कि अगर उसे दूसरे दौर की काउंसलिंग में सीट आबंटित की जाती है, तो उसे अपने मूल दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। जो वर्तमान में कस्तूरबा मेडिकल कालेज, मणिपाल के पास है। कालेज तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के शेष दो वर्ष की ट्यूशन फीस की मांग कर रहा है। जो अनुचित है।
