कोरोना के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशान दिहाड़ी मजदूर और गरीब तबके के लोग हैं। इन लोगों के पास खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं है ना ही पैसे कमाने के लिए रोजगार है। ऐसे में कुछ लोग भूख मिटाने के लिए कूड़े के ढेर से खाना बीन-बीन कर खा रहे हैं। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के जालंधर में कुछ बच्चे कूड़े के ढेर में से एक बोरी में मिले खाने के पैकेट से अपनी भूख मिटते दिखे।
दिन भर भूखे प्यासे घूमने के बाद बच्चों को कूड़े के ढेर में एक बोरी मिली जिसमें कुछ खाना था। भारत में लॉकडाउन के चलते लोगों को भूखे पेट सोना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक परिवार प्याज के साथ रोटियाँ खाने को मजबूर हैं। इस परिवार के पास न न राशन कार्ड है और ना ही आधार कार्ड। साथ ही इतना पैसा कभी नहीं हुआ कि बैंक में खाता खुलवाने की जरूरत पड़े। ऐसे में सरकार की तरफ से मिलने वाली मदद भी उन तक नहीं पहुंच पा रही है।
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ऐसे लोगों तक कुछ एनजीओ और संस्थान खाना पहुंचाने का काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित एक सामाजिक संगठन ने लॉकडाउन के दौरान लगभग आठ लाख लोगों को भोजन के पैकेट वितरित करने का दावा किया है। संगठन के एक सदस्य ने सोमवार को बताया कि उज्जयनी सेवा समिति के लगभग 60 कार्यकर्ताओं ने हर दिन भोजन तैयार किया और कोरोना वायरस के रेड जोन इन्दौर, उज्जैन और देवास जिलों में लोगों को वितरित किया। समिति के संयोजक घनश्याम पटेल ने पीटीआई-भाषा से कहा कि प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट और सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहायता से तीन जिलों में लगभग आठ लाख लोगों को भोजन के पैकेट वितरित किए गए हैं।
बता दें भारत में कोरोना का प्रकोप थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। देश में 24 घंटे में कोरोना वायरस के 8,171 नए केस आए हैं, जबकि इस संक्रमण से 204 लोगों की जान चली गई। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक मंगलवार सुबह नौ बजे तक देश में कोरोना के मामलों की संख्या बढ़कर 1,98,706 हो गई, जिसमें 97,581 एक्टिव केस हैं। वहीं, 95,526 लोग सही/डिस्चार्ज/माइग्रेट किए जा चुके हैं, जबकि अब तक कुल 5,598 मौतें हो चुकी हैं।
