पहलू खान लिंचिंग केस में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) ने पहलू खान का इलाज करने वाले डॉक्टर्स की तीखी आलोचना की है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने शुक्रवार को पहलू खान लिंचिंग केस में तीन नाबालिग दोषियों को सजा सुनायी और उन्हें ‘सुरक्षित बाल गृह’ में 3 साल के लिए भेजने का फैसला सुनाया।
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रधान मजिस्ट्रेट सरिता धाकड़ ने फैसले में लिखा कि “यदि मृतक पहलू खान) के शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं था तो फिर डॉक्टरों के बयान एक जैसे होने चाहिए लेकिन डॉक्टर्स ने अलग-अलग बयान दिए हैं। जिससे लगता है कि डॉक्टर्स ने पहलू खान के शरीर को डमी की तरह ट्रीट किया गया।”
फैसले के अनुसार, “पहलू खान की चोटों के बारे में मनमाने ढंग से निर्णय लिया गया और चोटों को कम से कम माना गया। डॉक्टर्स के ऐसे बयानों से उनके चिकित्सीय आचरण पर भी सवाल खड़े होते हैं।”
फैसले में कहा गया है कि “कैलाश हॉस्पिटल के डॉक्टर अखिल सक्सेना, डॉ. बीडी शर्मा, डॉ. आरसी यादव और डॉ. जितेन्द्र बुटोलिया को नोटिस जारी होना चाहिए और उनसे जवाब मांगा जाना चाहिए कि मौत का कारण गंभीर चोटों के बजाय हृदयघात बताने का क्या उद्देश्य था।”
बता दें कि पहलू खान का इलाज करने वाले डॉक्टर्स में से एक डॉक्टर आरसी यादव 2018 विधानसभा का चुनाव बहरोर विधानसभा सीट से लड़ चुके हैं। जेजेबी ने फैसले में कहा कि यह साफ है कि पहलू खान का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि मौत का कारण हृदयघात नहीं था और उसकी मौत चोटों के कारण हुई।
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने फैसले में कहा है कि ’21वीं सदी में, जहां भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सेक्यूलर देश है, वहां कुछ गैर-सामाजिक तत्व युवाओं को धर्म के नाम पर भड़काने और उन्हें एक अवैध ग्रुप में शामिल करने से नहीं हिचकिचाते और कानून व्यवस्था को हाथ में लेकर किसी की हत्या कर देते हैं।’
फैसले में कहा गया है कि “अगर यह मान लिया जाए कि पहलू खान और उसके बेटे अवैध रूप से गायों को जयपुर से लेकर हरियाणा जा रहे थे, तो भी किसी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है।”