पेगासस सॉफ्टवेयर से कथित जासूसी की रिपोर्ट सामने आने के बाद एक तरफ मोदी सरकार पल्ला झाड़ रही है तो दूसरी तरफ फ्रांस की सरकार ने इस मामले में बड़ा फैसला लिया है। फ्रांस ने इस सॉफ्टवेयर से जासूसी के मामले में जांच करने के आदेश दे दिए हैं। बता दें कि इस इजरायली सॉफ्टवेयर से भारत में भी 300 लोगों के मोबाइल नंबरों की जासूसी का दावा किया गया है। इसमें दो केंद्रीय मंत्री समेत राहुल गांधी, प्रशांत किशोर और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, पत्रकारों के नाम शामिल हैं।
फ्रांस के जांचकर्ता 10 तरह के आरोपों को लेकर जांच करेंगे। कहा जा रहा है कि मोरक्को की खुफिया एजेंसी ने फ्रांस के पत्रकारों की जासूसी करवाई थी। आरोप है कि मोरक्को की खुफिया एजेंसी ने जासूसी के लिए इजरायली स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया। इस मामले में खुफिया वेबसाइट मीडियापार्ट ने एक केस दर्ज करवाया था। हालांकि मोरक्को सरकार ने जासूसी की बात को सिरे से ख़ारिज कर दिया है।
बता दें कि वॉशिंगटन पोस्ट, ले मोंडे, गार्डियन समेत कई मीडिया संगठनों ने मिलकर फोन नंबरों की एक लिस्ट जारी की थी और कहा था कि एनएसओ ग्रुप इजरायल के पेगासस मॉलवेयर के जरिए दुनिया के 45 देशों में जासूसी कर रहा है। भारत सरकार ने इस मामले में कहा है कि इस जासूसी में उसकी कोई भूमिका नहीं है फिर भी विपक्ष लगातार उसे कटघरे में खड़ा कर रहा है।
कितना खतरनाक है पेगासस
जानकारी के मुताबिक पेगासस किसी फोन में वॉट्सऐप कॉल से भी पहुंच सकता है। यह फोन की लॉग एंट्री डिलीट कर देता है। यह न केवल कॉल रेकॉर्ड करता है बल्कि मेसेज पढ़ सकता है, ऐप देख सकता है, लोकेशन शेयर कर सकता है और फोन के साथ इस्तेमाल होने वाले माइक्रोफोन की आवाज को भी रेकॉर्ड करता है।
यह सॉफ्टवेयर अगर किसी गलत फोन में इंस्टॉल हो जाए तो खुद को खत्म भी कर लेता है। यह ब्राउजिंग हिस्ट्री, कॉन्टैक्ट, ईमेल आईडी के साथ फोन का स्क्रीनशॉट भी लेने में सक्षम है।