रूस के कज़ान में बुधवार को ब्रिक्स समिट के दौरान पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। तकरीबन साढ़े चार साल पहले पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ के बाद से दोनों देशों के बीच ठहरी हुई बातचीत को दोनों नेताओं ने एक बार फिर यह कहते हुए शुरू किया कि ‘सीमा पर शांति बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए’, इस दौरान दोनों ही नेताओ ने आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता जैसे शब्दों पर ज़ोर डाला। 

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मतभेदों और विवादों को संभालने पर ज़ोर 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच उपजे मतभेदों और विवादों को ठीक से संभालने के महत्व पर भी जोर दिया। एक तरफ शी जिनपिंग ने बेहतर कम्यूनिकेशन और सहयोग का आह्वान किया और कहा, “हम दोनों देशों के लोग और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारी बैठक पर पर गौर कर रहे हैं।”

दूसरी तरफ पीएम मोदी ने कहा,”हमारा मानना ​​है कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और प्रगति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।”

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर रूस के कज़ान में बैठक करते हुए दोनों नेताओं ने LAC पर गश्त को लेकर समझौते का स्वागत किया। 

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि भारत-चीन सीमा से जुड़े सवाल पर विशेष प्रतिनिधियों की जल्द ही एक बैठक होगी। एनएसए अजीत डोभाल और चीनी के प्रतिनिधि वांग यी के बीच आखिरी मुलाकात दिसंबर 2019 में हुई थी, जो चीनी घुसपैठ से महीनों पहले हुई थी। 

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “विदेश मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के स्तर पर होने वाले  संवाद का उपयोग द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने और पुनर्निर्माण के लिए भी किया जाएगा।”

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “कज़ान ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। भारत-चीन संबंध हमारे देशों के लोगों और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे।”

बैठक के दौरान क्या-क्या कहा गया? 

बैठक की शुरुआत में पीएम मोदी ने कहा, “सीमा पर हमारे बीच जो समझौते हुए हैं, हम उनका स्वागत करते हैं। सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार बने रहना चाहिए। मुझे पूरा भरोसा है कि हम खुले दिल से बातचीत करेंगे और हमारी चर्चाएं रचनात्मक होंगी।”

बैठक में चीन के राष्ट्रपति ने कहा, “प्रधानमंत्री महोदय, कज़ान में आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई। पिछले पांच सालों में यह पहली बार है जब हम औपचारिक रूप से मिल रहे हैं। हमारे दोनों देशों के लोग और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारी बैठक पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। चीन और भारत दोनों ही प्राचीन सभ्यताएं हैं, प्रमुख विकासशील देश हैं और वैश्विक दक्षिण के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हम दोनों ही अपने-अपने आधुनिकीकरण प्रयासों के महत्वपूर्ण चरण में हैं।”

बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने क्या कहा, जान लीजिए 

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि यह लगभग पांच सालों में डेलीगेशन लेवल पर पहली उचित द्विपक्षीय बैठक थी, पिछली बैठक नवंबर 2019 में ब्रासीलिया में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। यह बैठक सैनिकों की वापसी और गश्त के समझौते और भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में उत्पन्न मुद्दों के समाधान के तुरंत बाद हुई।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात में पीएम नरेंद्र मोदी ने क्या कहा?

विदेश मंत्रालय ने कहा, “दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दो पड़ोसी और दुनिया के दो सबसे बड़े देश होने के नाते भारत और चीन के बीच स्थिर और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। यह बहुध्रुवीय एशिया और बहुध्रुवीय दुनिया में भी योगदान देगा।