भारत ने रविवार (19 जून) को कहा कि पाकिस्तान ने वायुसेना के पठानकोट स्टेशन पर हुए आतंकवादी हमले की जांच के लिए एनआईए टीम के वहां जाने की अनुमति देने से इंकार नहीं किया है तथा उसने ‘और समय’ की मांग की है। इसके साथ ही भारत ने साफ किया कि आतंकवाद और वार्ता एकसाथ नहीं चल सकते। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के संबंधों में ‘गर्मजोशी और सहजता’ से दोनों पड़ोसियों के बीच के जटिल मुद्दों के हल में मदद मिल सकती है।

उन्होंने जोर दिया कि भारत पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों को वार्ता के जरिए हल करना चाहता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस्लामाबाद के संबंध में तीन बिंदु वाले फॉर्मूले पर काम कर रही है जिसमें जोर इस बात पर है कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद पर काबू के लिए कार्रवाई नहीं करता तो बातचीत नहीं हो सकती। सुषमा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘सर्वप्रथम, हम हर मुद्दा बातचीत के जरिए सुलझाना चाहते हैं। दूसरा, बातचीत भारत और पाकिस्तान के बीच होगी और इसमें कोई तीसरा देश या पक्ष नहीं होगा। तीसरा, आतंकवाद और बातचीत साथ साथ नहीं चल सकते।’

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच जटिल मुद्दे हैं और उनके जल्दी समाधान होने की उम्मीद करना व्यवहारिक नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘पठानकोट हमले के बाद, सरकार और लोगों को उम्मीद थी कि उस पक्ष की ओर से कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे। यह उम्मीद अकारण नहीं है। इसलिए हम उस पक्ष की ओर से ठोस कदमों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’ विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान ने पठानकोट आतंकवादी हमले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए एनआईए टीम के उस देश की यात्रा के लिए अनुमति देने से इंकार नहीं किया है और वह साक्ष्यों की जांच के लिए ‘और समय’ की मांग कर रहा है।

पाकिस्तान के पांच सदस्यीय संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने हमले के संबंध में साक्ष्य एकत्र करने के लिए 27 मार्च से 31 मार्च के बीच भारत का दौरा किया था। भारत यह लगातार कहता रहा है कि जेआईटी की यात्रा परस्पर आधार पर थी और एनआईए की टीम जांच के लिए पाकिस्तान जाना चाहेगी। सुषमा ने कहा कि इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायुक्त ने इस मुद्दे पर दो बार अधिकारियों से मुलाकात की और ‘उन्होंने कहा कि वे (साक्ष्य का) विश्लेषण कर रहे हैं। उन्होंने (एनआईए की यात्रा के लिए अनुमति देने से) इंकार नहीं किया है। उन्होंने सिर्फ कहा है कि वे और समय चाहते हैं।’

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद्द नहीं हुई है। ‘न तो हमारी ओर से और न ही उनकी ओर से इसे रद्द किया गया है।’ उन्होंने जोर दिया कि पठानकोट हमला और विगत में हुए आतंकवादी हमलों पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया में ‘भारी अंतर’ आया है। उन्होंने कहा कि मोदी और शरीफ के बीच के संबंधों की गर्मजोशी से जटिल समस्याओं के हल में मदद मिल सकती है। उन्होंने इसके साथ ही कहा, ‘ऐसा नहीं है कि संबंधों में गर्मजोशी के कारण हम चीजों को हल्के में लेंगे और सतर्क नहीं रहेंगे।’

दोनों नेताओं के संबंधों में गर्मजोशी को रेखांकित करने के लिए सुषमा ने पिछले साल दिसंबर में मोदी की अघोषित लाहौर यात्रा और पिछले महीने शरीफ द्वारा लंदन में सर्जरी के एक दिन पहले भारतीय प्रधानमंत्री को फोन किए जाने के वाकए का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि दोनों देशों के बीच कठिन मुद्दे हैं। कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव जैसे मुद्दे हैं, जैसा आप जिक्र कर रहे हैं।’ पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘दो तीन दौर की वार्ताओं के बाद या जल्दी उनके हल की उम्मीद करना अव्यवहारिक होगा। लेकिन मुद्दों के हल के लिए, आपको संबंधों की जरूरत होगी। मैं कहना चाहूंगी कि दोनों प्रधानमंत्रियों के संबंधों में गर्मजोशी है।’

सुषमा ने कहा कि भारत में आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तान ‘इंकार करने के मोड’ में होता था लेकिन पठानकोट हमले के बाद उनका रुख पूरी तरह से भिन्न है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा पहली बार हुआ कि उनके प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हमारे प्रधानमंत्री को फोन किया और कहा, ‘आप मुझे सबूत दीजिए, मैं निश्चित रूप से इस पर कार्रवाई करूंगा।’ यह भारी अंतर है।’ उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतें हैं जो दोनों प्रधानमंत्रियों और दोनों पड़ोसियों के बीच अच्छे संबंध नहीं चाहते।

आतंकवाद की चर्चा करते हुए सुषमा ने काफी समय से लंबित ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि’ (सीसीआईटी) को जल्दी स्वीकार किए जाने पर बल दिया और कहा कि इससे आतंकवाद की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि खाड़ी देशों सहित कई देशों ने आतंकवादियों से निपटने के लिए एकसमान रूख होने की आवश्यकता की पहचान की है।उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में मसूद अजहर को शामिल किए जाने के लिए भारत के प्रयास को चीन द्वारा रोके जाने का भी जिक्र किया और कहा कि अच्छे और खराब आतंकवादी के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए।