इंटरपोल ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैशे-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई अब्दुल रऊफ के खिलाफ पठानकोट में वायुसेना स्टेशन पर हमले के सिलसिले में ताजा रेड कार्नर नोटिस जारी किए हैं। अजहर पाकिस्तान में रहकर आतंकी करतूतों को अंजाम देता आया है और पठानकोट हमले में मारे आतंकियों से उसका सीधा नाता बताया गया था। भारत ने पिछले दिनों पाकिस्तान से आए संयुक्त जांच दल (जेआइटी) को ऐसे सबूत दिए थे, जिसमें मसूद की साजिशी भूमिका साफ नजर आती थी। हालांकि पाकिस्तान अब भी इन सबूतों को नाकाफी मान रहा है।

जैशे-मोहम्मद की ओर से अंजाम दिए गए पठानकोट आतंकवादी हमले की जांच के सिलसिले में पाकिस्तान की एक जेआइटी मार्च में भारत आई थी। जेआइटी के दौरे के बाद एनआइए के महानिदेशक ने कहा था कि कार्य क्षेत्र को लेकर आपस में जो सहमति बनी थी, उसी के अनुसार जेआइटी भारत आई थी। इस बीच एनआइए इसी तरह के रेड कार्नर नोटिस शाहिद लतीफ और कासिफ जान के खिलाफ जारी करवाने के लिए इंटरपोल से अनुरोध करेगी। इन दहशतगर्दों पर आरोप है कि इन लोगों ने पठानकोट हमले में अहम भूमिका निभाई थी।

बहरहाल एनआइए ने अजहर और रऊफ के खिलाफ भारतीय नौसेना के पठानकोट स्थित सामरिक स्टेशन पर एक और दो जनवरी की दरम्यानी रात को आतंकी हमला करने की साजिश रचने के आरोप में बिना तारीख वाला गैर जमानती वारंट हासिल करने के बाद ताजा रेड क\र्नर नोटिस जारी किया। हालांकि इस ताजा रेड क\र्नर नोटिस को औपचारिकता मात्र माना जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान ने दोनों के खिलाफ इससे पहले जारी गिरफ्तारी वारंट पर कोई कार्रवाई नहीं की है। 48 वर्ष के अजहर के खिलाफ संसद और जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा पर हमलों की साजिश रचने के सिलसिले में इंटरपोल का रेड कॉनर्र नोटिस पहले से बिना तामील के पड़ा है। इसी तरह 41 वर्ष के रऊफ के खिलाफ 1999 के आइसी 814 अपहरण मामले में वारंट लंबित है।

एनआइए द्वारा चंडीगढ़ की एक विशेष अदालत के सामने पेश किए गए सुबूतों के आधार पर यह ताजा वारंट जारी किए गए। इनमें आतंकवादियों और जैश आकाओं जैसे जान और लतीफ के बीच हुई बातचीत जैसे सुबूत शामिल हैं। अदालत के सामने रऊफ का एक वीडियो भी पेश किया गया। एक वेबसाइट पर पाकिस्तान में अपलोड किए गए इस वीडियो में रऊफ हमले की जिम्मेदारी ले रहा है और इसके लिए अपने लड़ाकों को बधाई दे रहा है। बाद में वह वीडियो हटा लिया गया और वेबसाइट को भी बंद कर दिया गया।

इस बीच भारत ने कहा है कि हाल में सबूत जुटाने के लिए पठानकोट आए पाकिस्तानी जांच दल की रिपोर्ट के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली है। गौरतलब है कि भारत से लौटते ही इस जांच दल ने पैंतरा बदलते हुए कहा था कि भारत में उसे खास हासिल नहीं हुआ। जेईटी के इस रुख पर एनआइए ने अचरज जताया था। फिलहाल यह माना जा रहा है कि जांच दल का आना एक खानापूरी से ज्यादा कुछ नहीं था और पाक आतंकी आकाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने जा रहा। जेईटी के पठानकोट दौरे को लेकर केंद्र सरकार भी निशाने पर रही थी और विपक्ष ने कहा था कि भारत की विदेश नीति आतंक से लड़ने के मोर्चे पर नाकाम रही है।

गौरतलब है कि जैशे-मोहम्मद की ओर से अंजाम दिए गए पठानकोट हमले की जांच के सिलसिले में भारत के कथित आग्रह पर पाकिस्तान की एक जेआइटी मार्च में भारत आई थी। जेआइटी के दौरे के बाद एनआइए के महानिदेशक ने कहा था कि कार्य क्षेत्र को लेकर आपस में जो सहमति बनी थी, उसी के अनुसार जेआइटी भारत आई थी। बाद में भारत ने अजहर और दूसरे आतंकियों की आवाज के नमूने देने को कहा था, लेकिन जेआइटी ने पल्ला झाड़ लिया।

अजहर वहीं आतंकी है जो 1999 तक भारतीय जेल में बंद था। भारतीय विमान आइसी- 814 के अपहरण के बाद यात्रियों को छोड़ने के बदले में उसे रिहा किया गया था। लतीफ 1994 से 2010 तक जम्मू-कश्मीर की जेल में बंद था। सजा पूरी होने के बाद उसे पाकिस्तान भेज दिया गया था। लतीफ ने पठानकोट के हमलावरों को साजो-सामान मुहैया कराने में मदद की थी।

याद रहे अजहर के मामले में भारत ने उसे प्रतिबंधित करने के लिए पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र में आवाज उठाई थी। लेकिन पाकिस्तान के हमदर्द चीन ने उसकी कोशिशों को नाकाम कर दिया और कहा कि भारत के आरोप के आधार पर अजहर को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। चीन के इस कदम पर भारत पहले ही आपत्ति जता चुका है।

मोस्ट वांटेड सरगना
एनआइए ने अजहर और उसके भाई रऊफ के खिलाफ पठानकोट स्थित सामरिक ठिकाने पर एक और दो जनवरी की दरम्यानी रात को आतंकी हमला करने की साजिश रचने के आरोप में बिना तारीख वाला गैर जमानती वारंट हासिल करने के बाद ताजा रेड कार्नर नोटिस जारी किया है।

नोटिस वारंट पहले से लंबित
अजहर के खिलाफ भारतीय संसद और जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा पर हमलों की साजिश रचने के सिलसिले में इंटरपोल का रेड कार्नर नोटिस पहले से बिना तामील के पड़ा है। इसी तरह रऊफ के खिलाफ 1999 के आइसी-814 अपहरण मामले में वारंट लंबित है।