I Love Muhammad Controversy: ‘आई लव मुहम्मद’ अभियान को लेकर उठे विवाद के बीच पसमांदा मुसलमानों के एक संगठन ने बरेली में हाल में हुए लाठीचार्ज की रविवार को निंदा की और समुदाय के युवाओं से शांति व सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकने वाले कृत्यों से दूर रहने की अपील की।

दरअसल, ‘ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज’ (एआईपीएमएम) ने एक बयान में कहा कि कानपुर विवाद की सच्चाई यह है कि जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, शहर काजी, इमामों और शहर के अन्य बुद्धिजीवियों के साथ बैठक के बाद प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा कि दूसरे धर्मों के बैनर/पोस्टर फाड़ने वालों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी का ‘आई लव मुहम्मद’ लिखने से कोई लेना-देना नहीं है।

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जागरूकता बढ़ाने के लिए कर रहे काम

बयान के अनुसार, एआईपीएमएम की कानपुर इकाई ने भी एक तथ्यात्मक रिपोर्ट उपलब्ध कराई और संगठन उस दिन से इस सच्चाई को फैलाने और लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। एआईपीएमएम ने कहा, ‘‘इसके बावजूद कुछ अशरफ (उच्चवर्ग) मौलानाओं, राजनीतिक नेताओं और तथाकथित बुद्धिजीवियों ने जानबूझकर इस मुद्दे को हवा दी और लोगों को भड़काया। यह स्पष्ट है कि यह विवाद राजनीतिक एजेंडा तय करने के लिए बार-बार उठाया गया है।’’

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बरेली में क्या हुआ था?

बरेली की घटना पर संगठन ने दावा किया कि शुक्रवार की नमाज के बाद कुछ नेताओं के भड़काऊ बयानों और हिंसा भड़काने के प्रयासों से स्थिति बिगड़ गई, जिसके कारण पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। संगठन ने कहा, ‘‘घटना में कई युवा घायल हुए। मौलाना तौकीर रजा खान के लगातार भड़काऊ बयानों के बावजूद सरकार द्वारा ठोस कार्रवाई न करना भी गंभीर सवाल खड़े करता है।’’

अपनी अपील में एआईपीएमएम ने कहा कि उसका मानना ​​है कि मौजूदा स्थिति अनुकूल नहीं है और विशेष रूप से पसमांदा मुस्लिम समुदाय को विरोध प्रदर्शनों और टकराव से बचना चाहिए।

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