संसद के शीतकालीन सत्र की आज से शुरुआत हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने नए सभापति सीपी राधाकृष्णन का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में यह भी बताया कि सीपी राधाकृष्णन ने नॉनवेज खाना क्यों छोड़ दिया और इसका काशी शहर से क्या कनेक्शन है?
पीएम ने सीपी राधाकृष्णन के जीवन की एक घटना का वर्णन करते हुए कहा, “आप उप-राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार काशी यात्रा पर गए थे। इस दौरान आपने बताया किआप पहले तो नॉन-वेज खाते थे लेकिन जब आप जब पहली बार काशी गए थे और जब आपने मां गंगा की पूजा-अर्चना, आरती की तो पता नहीं कैसे आपके भीतर से एक संकल्प जगा और उस दिन से आपने तय किया कि आप अब नॉन-वेज नहीं खाएंगे।”
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “नॉन-वेज खाने वाले बुरे हैं ऐसा मैं नहीं कहता लेकिन काशी की धरती पर आपके मन में यह विचार जगा यह एक सांसद के रूप में मेरे लिए भी स्मरण रखने वाली घटना है।”
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पीएम मोदी ने किया सीपी राधाकृष्णन का अभिनंदन
इससे पहले सीपी राधाकृष्णन का अभिनंदन करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “आदरणीय सभापति जी आज शीतकालीन सत्र आरंभ हो रहा है और आज सदन के हम सभी सदस्यों के लिए आपका स्वागत करना गर्व का पल है। आपके मार्गदर्शन में सदन के माध्यम से देश को प्रगति की राह पर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा, महत्वपूर्ण निर्णय और उसमें आपका अमूल्य मार्गदर्शन। एक बहुत बड़ा अवसर हम सबके लिए है। मैं सदन की तरफ से, मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं और आपको शुभकामनाएं देता हूं।
मुझे विश्वास है कि इस सदन में बैठे हुए सभी माननीय सदस्य इस उच्च सदन की गरिमा को संभालते हुए, आपकी गरिमा की भी सदा सर्वदा चिंता करेंगे, मर्यादा रखेंगे। हमारे सभापति जी एक सामान्य परिवार से आते हैं, किसान परिवार से निकले हैं और पूरा जीवन समाज सेवा के लिए समर्पित किया है। प्रधानमंत्री के रूप में मुझे जब यहां दायित्व मिला और मैंने आपको अलग-अलग जिम्मेदारियों पर काम करते हुए देखा, तो मेरा मन पर अतिशय सकारात्मक भाव जगना बहुत स्वाभाविक था।
प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर साधा निशाना
पीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “संसद देश के लिए क्या सोच रही है, संसद देश के लिए क्या करना चाहती है, संसद देश के लिए क्या करने वाली है, इन मुद्दों पर केंद्रित होना चाहिए। विपक्ष भी अपना दायित्व निभाए, चर्चा में मजबूत मुद्दे उठाए, पराजय की निराशा से बाहर निकलकर आए। दुर्भाग्य ये है कि 1-2 दल तो ऐसे हैं, कि वो पराजय भी नहीं पचा पाते। मैं सोच रहा था कि बिहार के नतीजों को इतना समय हो गया, तो अब थोड़ा संभल गए होंगे। लेकिन, कल जो मैं उनकी बयानबाजी सुन रहा था, उससे लगता है कि पराजय ने उनको परेशान करके रखा है।
