बहुप्रतीक्षित भूमि अधिग्रहण विधेयक पर गठित संसद की संयुक्त समिति आज विधेयक के तीन महत्वपूर्ण प्रावधानों पर सर्वसम्मति बनाने के लिए विचार विमर्श करेगी जिनमें जमीन का इस्तेमाल पांच साल तक नहीं होने पर उसे उसके मालिक को लौटाने का प्रावधान भी शामिल है।
सहमति उपबंध और सामाजिक प्रभाव आकलन को प्रस्तावित कानून में वापस शामिल किए जाने समेत छह महत्वपूर्ण मुद्दों पर समिति पहले ही सर्वसम्मत समझौते पर पहुंच चुकी है और अब वह दस अगस्त की बैठक में बाकी तीन मुद्दों पर अपने विचारों को अंतिम रूप देने की कवायद शुरू करेगी। समिति को अगले ही दिन अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। समिति के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सरकार भी समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने की इच्छा जाहिर कर चुकी है जिसने संप्रग सरकार द्वारा लाए गए कानून के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद उन्हें बहाल कर दिया है। लेकिन सरकार का कहना है कि यह कदम पीछे खींचने वाली बात नहीं है क्योंकि वह सर्वसम्मति वाले बदलावों को स्वीकार करने के लिए हमेशा तैयार रही है।
भाजपा सांसद एस एस अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली संसद की 30 सदस्यीय संयुक्त समिति कल जिन मुद्दों पर विचार विमर्श करेगी उनमें इस्तेमाल नहीं की गयी जमीन को लौटाना, नये कानून के तहत मुआवजे के लिए पिछली तारीख से आवेदन और समीक्षा की अवधि शामिल हैं।
वर्ष 2013 के संप्रग सरकार के भूमि अधिनियम के तहत , अधिग्रहित की गयी जमीन का यदि पांच साल तक इस्तेमाल नहीं किया जाता है तो उस जमीन को उसके मूल मालिक या भूमि बैंक को लौटाना होगा। हालांकि राजग के विधेयक में, इस्तेमाल नहीं की गयी भूमि को या तो पांच साल बाद या परियोजना स्थापित करने के समय निर्धारित की गयी कोई अवधि पर लौटाना होगा।