संसद के मॉनसून सत्र में महंगाई पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने प्रकाश जवाड़ेकर के सदन में दिए गए बयान को गलत बताया। उन्होंने कहा कि वो ( प्रकाश जावडे़कर ) कहते हैं कि हम बॉन्ड लाए। उन्होंने कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि आप पेट्रोलियम एनालिसिस सेल के आंकड़े देख लीजिए। उन आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार ने 27 लाख करोड़ रुपए वसूल किए। जबकि बॉन्ड में सिर्फ 98 हजार करोड़ रुपए भरे।
गोहिल ने कहा, ‘हाय रे भाजपाई महंगाई, तूने कैसी आफत ढाई। देशवासियों के जीवन को बना दिया दुखदाई।’ उन्होंने कहा कि मैं किसी हवाबाजी और फेंकूबाजी में विश्वास नहीं करता हूं। मैं आपको सोर्स बताऊंगा। उन्होंने कहा कि मिनिस्टर ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स इनका एक डिपार्टमेंट प्राइस मॉनिटरिंग उसके आंकडे बताना चाहता हूं। उन्होंने कहा पूर्व मंत्री रहे एक सदस्य बिना सोर्स बताए बात कर रहे थे, लेकिन मैं आपको सोर्स दिखाता हूं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि महंगाई की दर अप्रैल 2021 में 4.23 प्रतिशत थी। वही महंगाई ठीक एक साल बाद अप्रैल, 2022 में 7.79 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि मिनिस्टर ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के मॉनिटरिंग डिपार्टमेंट ने अपने आंकड़ों में कहा है कि राइस का प्राइस 1 मई, 2014 में 26.17 रुपए था। वही 1 मई, 2022 को 35.85 रुपए हो गया। गेहूं 20.05 रुपए था, बीजेपी सरकार ने 28.08 रुपए कर दिया।
रावण, कंस और अंग्रेज का शासन सलामत नहीं रहा, आपका भी नहीं रहेगा: गोहिल
कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे ऊपर चाहे कितनी भी दिक्कत आए, लेकिन देश की दिक्कत की चर्चा हम हाउस में करेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सच को परेशान करने या जेल में डालने से न रावण का शासन सलामत रहा था, न कंस का रहा था और न ही अंग्रेज का रहा था। आपका कहां से रहेगा।
गोहिल बोले- जेएनयू को सत्ता पक्ष के लोग देशद्रोहियों का अड्डा बताते,जबकि वित्त मंत्री वहीं से पढ़ीं
गोहिल ने कहा कि मैं वित्त मंत्री की बहुत इज्जत करता हूं। मैं जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की बहुत इज्जत करता हूं। जिसकी वो पासआउट हैं। उस यूनिवर्सिटी से बहुत बडे़-बड़े लोग निकले हैं। वहीं से उन्होंने शिक्षा ली है। जिसको सत्ता पक्ष के लोग देशद्रोहियों और गुंडों का अड्डा बताते हैं।
उन्होंने कहा मैं वित्त मंत्री से गुजारिश करता हूं कि आप तो संवेदनशील हैं। आप जरा गुजरात के चार दिन पहले अखबार को उठाकर देख लीजिए कि एक पढ़ा-लिखा बंदा सुसाइड करता है। वो अपने सुसाइड नोट में लिखता है-‘मैं मर रहा हूं। मैं पढ़ा-लिखा मुझे रोजगार नहीं मिला। मजदूरी करता हूं, पर महंगाई इतनी है कि मैं अपने घर-परिवार का भरण-पोषण नहीं कर सकता हूं। मैं आत्महत्या कर रहा हूं।