संसद का मानसून सत्र आज से शुरु होगा। इस सत्र के बेहद हंगामेदार रहने के आसार नज़र आ रहे हैं। मानसून सत्र से एक दिन पहले ही स्पष्ट हो गया था कि सरकार और विपक्ष के बीच संसद में सुषमा स्वराज, वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान से जुडे़ विवादों को लेकर टकराव होगा।

कांग्रेस ने साफ कहा कि जब तक आरोपों से घिरे भाजपा नेता इस्तीफा नहीं देते, संसद नहीं चलने दी जाएगी। उधर सरकार का कहना है कि कोई भी इस्तीफा नहीं देगा और वह किसी अल्टीमेटम के आगे नहीं झुकेगी।

मानसून सत्र से पहले दो सर्वदलीय बैठकें हुईं। एक संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू और दूसरी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बुलायी थी। दोनों ही बैठकों में गतिरोध दूर नहीं हुआ।

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कांग्रेस ने दबाव बढ़ाते हुए स्पष्ट कर दिया कि संसद के मानसून सत्र के दौरान कार्यवाही तब तक नहीं चलेगी जब तक केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान इस्तीफे नहीं दे देते या उन्हें हटा नहीं दिया जाता।

आजाद ने कहा कि सदन की कार्यवाही बाधित करने का निर्णय दिन प्रतिदिन आधार पर किया जाएगा। उन्होंने यद्यपि इसके पर्याप्त संकेत दिये कि कांग्रेस पार्टी भाजपा के उदाहरण का पालन करेगी जिस पर उन्होंने संप्रग सरकार के शासन काल के दौरान 2जी मुददे पर सदन की कार्यवाही रोकने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, भाजपा दोहरे मापदंड नहीं अपना सकती। उन्होंने कहा, व्यापमं और ललितगेट का महत्व अरब गुना अधिक है।