भारत में प्रचंड गर्मी ने 50 साल में 17 हजार से अधिक लोगों की जान ली है। 1971 से 2019 के बीच लू चलने की 706 घटनाएं हुई हैं। यह जानकारी देश के शीर्ष मौसम वैज्ञानिकों के प्रकाशित शोध से मिली है। यह शोध पत्र पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने मौसम वैज्ञानिकों के एक समूह के साथ मिलकर इस साल की शुरुआत में तैयार किया था। इस समूह में शामिल मौसम वैज्ञानिक हैं- कमलजीत रे, एसएस रे, आरके गिरी और एपी डीमरी। शोध पत्र के मुख्य लेखक कमलजीत रे हैं।

लू अति प्रतिकूल मौसमी घटनाओं (ईडब्लूई) में से एक है। अध्ययन के मुताबिक, 50 सालों (1971-2019) में ईडब्लूई ने 1,41,308 लोगों की जान ली है। इनमें से 17,362 लोगों की मौत लू की वजह से हुई है जो कुल दर्ज मौत के आंकड़ों के 12 फीसद से थोड़ा ज्यादा है। अध्ययन में कहा गया कि लू से अधिकतर मौत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में हुई। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उन राज्यों में शुमार हैं, जहां भीषण लू के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं।

यह अध्ययन हाल के हफ्तों में उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ी प्रचंड गर्मी की वजह से अहमियत रखता है। इस हफ्ते की शुरुआत में कनाडा और अमेरिका में भीषण गर्मी पड़ने से कई लोगों की मौत हो गई। कनाडा के शहर के वैंकूवर में पारा सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 49 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक हो गया।
भारत के भी उत्तरी मैदानों और पर्वतों में भीषण गर्मी पड़ी है और लू चली है। मैदानी इलाकों में इस हफ्ते की शुरुआत में पारा 40 डिग्री से अधिक पहुंच गया है। मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने और पर्वतीय इलाकों में 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर किसी इलाके में लू की घोषणा की जाती है।

खास बातें
अध्ययन के मुताबिक प्रतिकूल मौसमी घटनाओं (ईडब्लूई) के कारण 1971-2019 के दौरान 1,41,308 लोगों की जान गई। इनमें से 17,362 लोगों की मौत लू की वजह से हुई है जो कुल दर्ज मौत के आंकड़ों के 12 फीसद से थोड़ा ज्यादा है। यह अध्ययन हाल के हफ्तों में उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ी प्रचंड गर्मी की वजह से अहमियत रखता है। इस हफ्ते की शुरुआत में कनाडा और अमेरिका में भीषण गर्मी पड़ने से कई लोगों की मौत हो गई।