“आप उठ क्यों नहीं रहे हैं? मुझे कुछ नहीं चाहिए पापा..प्लीज़ वापस आ जाइए,” यह शब्द 10 साल की पवना चिब के हैं, उनके पिता हवलदार नीलम सिंह चिब शुक्रवार (5 मई) को जम्मू के राजौरी में शहीद होने वाले पांच जवानों में एक हैं, उनके जाने से पवना का पूरा परिवार गहरे सदमे में आ गया है..पवना के ठीक बगल में खड़ी उनकी मां वंदना अपने शहीद पति के चेहरे पर अविश्वास से घूर रही है, इससे पहले कि वह टूट जाए। 

जैसे ही हवलदार नीलम सिंह  का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटे ताबूत में उनके गांव दलपत-चक कृपालपुर पहुंचा तो पूरा गांव गमगीन हो उठा.. कुछ लोगों को यहां रोता देखा जा सकता था तो कुछ लोग सैकड़ों लोगों की भीड़ के बीच रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे थे..यहां हजारों लोग शहीद को अंतिम विदाई देने पहुंचे थे। 

उनके पार्थिव शरीर को जम्मू के  भारतीय वायु सेना स्टेशन से एक काफिले में लाया गया था,उन्हें लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा और उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और अन्य सेना के अधिकारियों ने पुष्पांजलि अर्पित की..इस दौरान ‘नीलम सिंह अमर रहे’ के नारे गूंज उठे। 

हवलदार नीलम सिंह का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके भाई और सीआईएसएफ जवान अंगद सिंह ने “जय शहीद, जय सेना, जय हिंद” के नारों के बीच उनकी चिता को मुखाग्नि दी।

शहीद के पिता  हुरदेव सिंह ने पिछली बार उनके घर आने को याद करते हुए कहा कि उन्हें बेटे पर गर्व है। उन्होने कहा, ”मुझे अपने बेटे पर गर्व है। वह एक बहादुर कमांडो था, जिसने आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। वह एक योद्धा के रूप में पैदा हुआ था।

कुछ दिन पहले वह थोड़ी देर के लिए घर आया था व्याकुल पिता ने याद करते हुए कहा, “वह इतना कर्तव्यनिष्ठ था कि उसने बस चाय पी और चला गया।”

हालांकि, नीलम सिंह के चचेरे भाई सुरेश नाराज थे। उन्होंने कहा, “हर छह महीने में एक हमला होता है। कितने घर नष्ट हो जाएंगे? सेना जवाबी कार्रवाई करेगी और शांति होगी लेकिन फिर एक और हमला होगा और एक और परिवार अपने बेटे को खो देगा।”