8 मई की रात भारत-पाकिस्तान सीमा पर कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया। सीमा पार से करीब 300 से 400 ड्रोन भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने तुरंत हरकत में आते हुए इन्हें निशाना बनाया और बड़ा हमला विफल कर दिया। खास बात यह थी कि इन ड्रोन के मलबे की जब जांच की गई तो पता चला कि ये तुर्की में बने SONGAR सशस्त्र ड्रोन हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने इस्तेमाल किया था।

यह खुलासा कर्नल सोफिया कुरैशी ने किया। उन्होंने बताया, “लगभग 36 स्थानों पर ड्रोन से घुसपैठ की कोशिश हुई। ड्रोन का मलबा मिला है और उसकी फोरेंसिक जांच जारी है। शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है कि ये तुर्की के असिसगार्ड SONGAR ड्रोन हैं।”

भारत ने कैसे किया ड्रोन हमले को नाकाम?

भारतीय सेना ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और इन ड्रोन को गिराने के लिए ‘गतिज’ (kinetic) और ‘गैर-गतिज’ (non-kinetic) तरीकों का इस्तेमाल किया। इनमें से ज़्यादातर ड्रोन लक्ष्यों को नुकसान पहुँचाने से पहले ही ढेर कर दिए गए। हालांकि, पाकिस्तान ने उसी रात बठिंडा के सैन्य स्टेशन को एक और सशस्त्र ड्रोन से निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन वहां भी उन्हें कामयाबी नहीं मिली।

क्या होता है Kinetic और Non-Kinetic हमला

जब किसी खतरे, जैसे ड्रोन हमले का जवाब दिया जाता है, तो उसे दो तरीकों से रोका जा सकता है —काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक उपायों से। काइनेटिक उपाय मतलब होता है बल प्रयोग करना, जैसे गोली चलाना, मिसाइल दागना या बम से उसे मार गिराना। अगर कोई ड्रोन फिज़िकल हमला करके गिराया गया, तो वह काइनेटिक तरीका कहलाएगा। दूसरी ओर, नॉन-काइनेटिक उपाय में सीधे हमला नहीं किया जाता, बल्कि तकनीकी तरीकों से जैसे सिग्नल जैम करना, GPS गड़बड़ करना, या साइबर अटैक के ज़रिए ड्रोन को नियंत्रण से बाहर कर दिया जाता है। इस तरह के उपायों से बिना गोली चलाए भी ड्रोन को बेअसर किया जा सकता है।

क्या हैं SONGAR ड्रोन?

SONGAR तुर्की का पहला स्वदेशी सशस्त्र ड्रोन है, जिसे अंकारा स्थित रक्षा कंपनी Asisguard ने बनाया है। यह ड्रोन विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों और असममित युद्ध के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे मानव रहित तरीके से दूर से संचालित किया जा सकता है और यह स्वायत्त रूप से भी काम कर सकता है।

SONGAR की ताकत – क्यों है यह खतरनाक?

  1. घातक हथियारों से लैस: SONGAR ड्रोन में स्वचालित मशीन गन, मिनी-मिसाइल या 81 मिमी मोर्टार राउंड लगाए जा सकते हैं। इससे यह मानव, वाहन या हल्के किले जैसे लक्ष्यों को तबाह कर सकता है।
  2. उड़ान की क्षमता: इसका अधिकतम वजन 45 किलोग्राम तक हो सकता है और यह बिना पेलोड के 25-30 मिनट तक उड़ सकता है। यह ज़मीन से 400 मीटर की ऊँचाई और समुद्र तल से 2,800 मीटर तक ऑपरेट कर सकता है।
  3. रीयल-टाइम निगरानी: इसमें इंफ्रारेड और डे-लाइट कैमरे लगे हैं जो दिन-रात निगरानी कर सकते हैं। यह ऑपरेटर को लाइव वीडियो और टेलीमेट्री डेटा भेजता है, जिससे मिशन के दौरान ही निर्णय लिए जा सकते हैं।
  4. स्वायत्त संचालन: अगर ड्रोन कनेक्शन खो देता है या बैटरी खत्म होने लगती है, तो यह अपने आप बेस पर लौट आता है। इससे ऑपरेटर का बोझ कम होता है और मिशन की सफलता की संभावना बढ़ती है।
  5. समूह हमला (Swarm Attack): SONGAR ड्रोन एक साथ कई दिशाओं से हमला कर सकते हैं। 8 मई की रात पाकिस्तान ने इसी रणनीति का इस्तेमाल किया, ताकि भारतीय सुरक्षा व्यवस्था को चकमा दिया जा सके।

भारत के लिए चिंता की बात क्यों?

तुर्की के इन आधुनिक ड्रोन का पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल करना दर्शाता है कि अब पारंपरिक लड़ाई की बजाय तकनीकी युद्ध का दौर शुरू हो गया है। SONGAR जैसे ड्रोन आधुनिक युद्ध में एक ‘गेमचेंजर’ हो सकते हैं। इनकी संख्या, मारक क्षमता और समूह में हमला करने की रणनीति से यह साफ है कि भारत को अब ड्रोन युद्ध के लिए खुद को और मज़बूत करना होगा।

सौभाग्य से भारत के पास पहले से ही मजबूत वायु रक्षा प्रणाली है, जिसमें आकाश मिसाइल, MRSAM, और S-400 जैसे सिस्टम शामिल हैं। इन तकनीकों ने इस हमले को नाकाम किया और यह साबित कर दिया कि भारत सिर्फ जवाब देने में सक्षम नहीं है, बल्कि पहले से तैयार और सतर्क भी है।”