सिंधु जल संधि को लेकर भारत के सख्त रुख अपनाए जाने की खबरों के बीच घबराया पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक के पास पहुंच गया है। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने उच्चायोग के अधिकारियों के हवाले से बताया कि पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक से अपील की है नीलम और चिनाब नदी पर भारत की ओर से किए जा रहे निर्माण पर रोक लगाई जाए। मंगलवार को पाकिस्तान ने विश्व बैंक के अधिकारियों से मुलाकात जल संधि डील पर मध्यस्थता की अपील की है। पाकिस्तान की ओर से यह बैठक ऐसे समय की गई है, जब खबरें आ रही है भारत 56 साल पुराने सिंधु जल संधि को रद्द कर सकता है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अटॉर्नी जनरल अस्तर औसफ अली खान के नेतृत्व में पाकिस्तान सरकार के एक दल ने वर्ल्ड बैंक के अधिकारियों से वॉशिंगटन डीसी में मुलाकात की और सिंधु जल संधि 1960 के आर्टिकल 9 के तहत मध्यस्तता की अपील की। पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से भारत के किशन गंगा निर्माण विवाद और चिनाब तथा नीलम नदी पर बन रहे रैटिल हाइड्रोइलेक्टि्रक प्लांट के विवाद को भी सुलझाने की अपील की है। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत नियमों की अनदेखी कर इन नदियों पर हाइड्रो पावर के लिए काम कर रहा है। पाकिस्तानी अधिकारियों ने वर्ल्ड बैंक से इस मामले को निपटाने के लिए जजों की नियुक्ति करने की भी मांग की है।
गौरतलब है कि इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने मंगलवार को कहा था कि भारत ने अगर सिंधु जल संधि के उल्लंघन की कोशिश की तो इस मामले को लेकर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) जाएगा। सरताज अजीज ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत भारत खुद को समझौते से अलग नहीं कर सकता है। अजीज ने दावा किया कि यह संधि कारगिल और सियाचिन युद्ध के दौरान भी रद्द नहीं हुई थी। भारत की ओर से सिंधु जल संधि को लेकर की गई समीक्षा के बाद से पाकिस्तान घबराया हुआ है और बार-बार अतंर्राष्ट्रीय मंच पर जाने की धमकी दे रहा है। कहा जा रहा है कि इस बैठक ंमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।
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